देवभूमि की बेटी को पद्मभूषण सम्मान, जानिए संघर्ष भरी कहानी

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नई दिल्ली: माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली उत्तराखंड की बेटी बछेंद्री पाल को पद्मभूषण सम्मान से नवाजा जा रहा है। बछेंद्री पाल भारत की पहली और दुनिया की पांचवी महिला हैं जिन्होंने माउंट एवरेस्ट पर फतह हासिल की है।

बता दें कि, मई, 1984 में बछेंद्री ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर तिरंगा फहराया था। बछेंद्री पाल ने अपनी जिन्दगी में बहुत से उतार चढ़ाव देखे हैं। पर्वतारोही बछेंद्री पाल का जन्म उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के नकुरी गांव में वर्ष 1954 में हुआ था। किसान परिवार में जन्म लेने वाली पाल ने किसी तरह बीएड तक की पढ़ाई पूरी, लेकिन प्रतिभाशाली और होनहार होने के बावजूद उन्हें कोई अच्छा रोजगार नहीं मिला।

बछेंद्री पाल के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण वे लोगों के कपड़े सिलती थीं। स्कूल टाइम में बछेंद्री न सिर्फ पढ़ने में ही नहीं, बल्कि खेल-कूद में भी बहुत आगे रहती थी।

पाल ने बी.ए. करने के बाद एम.ए. (संस्कृत) किया और फिर बी.एड. की डिग्री हासिल की। इतनी पढ़ाई करने के बाद भी बछेंद्री को कहीं अच्छी नौकरी नहीं मिली। इसके बाद बछेंद्री ने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में दाखिले के लिए आवेदन किया।

बछेंद्री पाल को उनकी उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कारों और सम्मान से नवाज जा चुका है। जिनमे पद्मश्री पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार, नेशनल एडवेंचर अवार्ड, भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन से पर्वतारोहण में उत्कृष्टता के लिए स्वर्ण पदक, संस्कृति मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार की ओर से वीरांगना लक्ष्मीबाई सम्मान, कोलकाता लेडिज स्टडी ग्रुप अवार्ड, उत्तर प्रदेश सरकार का यश भारती सम्मान, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से पीएचडी की मानद उपाधि प्रमुख हैं।

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