शोध में दावा: ‘देवभूमि’ बन रही ‘प्रदूषण भूमि’; लोगों की उम्र करीब 7 साल कम

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देहरादून: हरित दून कहे जाने वाले देहरादून के लोगों की उम्र पर प्रदूषण भारी पड़ रहा है। एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स के ताजा विश्लेषण के अनुसार, प्रदूषण के कारण देहरादून के लोगों की उम्र 4.2 साल कम हो रही है। वहीँ हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में हालात और भी खतरनाक हैं, यहाँ के लोगों की जिंदगी के 6.6 और 6.1 साल कम हो रहे हैं।

शिकागो विश्वविद्यालय, अमेरिका की शोध संस्था ‘ईपिक’ (एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट एट द यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो) द्वारा तैयार ‘वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक’ का नया विश्लेषण यह स्थिति दर्शा रहा है। इस शोध के हिंदी संस्करण का विमोचन आज किया गया।

शोध के अनुसार, यदि यहां के वायुमंडल में प्रदूषित सूक्ष्मतत्वों एवं धूलकणों की सघनता 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा बताया गया सुरिक्षत मानक) के सापेक्ष हो तो राज्य के लोगों की उम्र बढ़ सकती है। शोध में दावा है कि, वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक के मुताबिक 1998 में, इसी वायु गुणवत्ता मानक को पूरा करने से जीवन प्रत्याशा में 1.9 साल की बढ़ोतरी होती। लेकिन राज्य में देहरादून प्रदूषित जिलों की सूची में शीर्ष पर नहीं है। उत्तराखंड के अन्य जिले और शहर के लोगों का जीवनकाल घट रहा है और वह बीमार हो रहे हैं।  इसी तरह ऊधमसिंह नगर, नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल, चंपावत और अल्मोड़ा भी इस सूची में पीछे नहीं हैं।

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