देश के सबसे प्रतिभावान सांसद अजय भट्ट, देश के 25 सर्वश्रेष्ठ सांसदों में शामिल

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देहरादून: पहली बार सदन में गए अजय भट्ट ने देश में अपना लोहा मनवाया है। लोकसभा सदन में पहुंचे अजय भट्ट ने जनता की समस्याओं को सदन में उठाकर एक सांसद द्वारा किए जाने वाले कार्यों की मर्यादा स्थापित की है। यही वजह है कि देश की महत्वपूर्ण सर्वे एजेंसियों ने भी अजय भट्ट को प्रतिभावान सांसद के रूप में पहले स्थान पर पाया है। लगातार संसद में उपस्थिति और जनता के हितों में प्रश्न उठाने सहित लोकतंत्र की मजबूती के लिए विधेयक लाने के लिए उत्तराखंड के सांसद अजय भट्ट को प्रतिभावान सांसद की कैटेगरी में प्रथम स्थान मिला है।

17वें लोकसभा के चुनाव में देश भर से 543 सांसद चुनकर आए इनमें से फेम इंडिया एशिया पोस्ट सर्वे ने देशभर के सांसदों में संयुक्त रूप से एक सर्वे किया जिसमें 25 श्रेष्ठ सांसदों का चयन किया गया है। सूची में उत्तराखंड से ‘अजय भट्ट’ भी शामिल हैं। श्रेष्ठ सांसदों के चयन के लिए फेम इंडिया और एशिया पोस्ट सर्वे द्वारा सांसदों के चयन के लिए 25 कैटेगरी बनाई गई थी। अजय भट्ट ने सदन में लगातार अपने संसदीय क्षेत्र की समस्याओं के साथ ही उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र की समस्याओं को भी सदन में रखा।

इसके आलावा प्रभावशाली सांसद की केटेगरी में टॉप पर गुजरात के सांसद डॉ. किरिट भाई सोलंकी हैं। अनुभवी सांसद की केटेगरी में मध्यप्रदेश के भाजपा सांसद राकेश सिंह रहे। उत्कृष्ट श्रेणी में कांग्रेस के दिग्गज के. सुरेश हैं, तो बेजोड़ कैटगरी में तेलंगाना के सांसद नामा नागेश्वर राव रहे। वहीं, गुजरात के नवसारी से सांसद सीआर पाटिल असरदार श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं, शिवहर बिहार से चार बार की सांसद रमा देवी लोकप्रिय, तो चर्चित कैटगरी में ओडिशा से सांसद डॉ अच्युत सामंत प्रमुख स्थान बनाने में कामयाब रहे।

कर्मयोद्धा श्रेणी में राजस्थान से सांसद देवजी पटेल, लगनशील कैटगरी में हरियाणा से रमेश चंद्र कौशिक, महाराष्ट्र से शिवसेना सांसद विनायक राउत ने क्षमतावान और प्रतिभावान कैटगरी में उत्तराखंड के सांसद अजय भट्ट ने टॉप किया। इसके अलावा कई अन्य केटेगरी में भी सांसदों का चयन किया गया है।

एशिया पोस्ट के एनलिस्ट ने 10 प्रमुख बिंदुओं पर कार्य किया था, जिनमें सांसद की लोकप्रियता, जनता से जुड़ाव, छवि, कार्यशैली सहित सदन में उपस्थिति और सदन की बहस में भागीदारी के साथ-साथ जनता के हितों के प्रश्न उठाने और लोकतंत्र की मजबूती के लिए निजी विधेयक लाने तथा क्षेत्र की जनता के सुलभता वह मददगार को प्रमुख माना गया था।

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