आजादी के बाद अब पहुंची सड़क, जब गाँव पर बुरी तरह हावी पलायन की मार

Please Share

बागेश्वर: एक तरफ जहाँ दुनियां चाँद तक का सफर तय कर चुकी है। वहीं दूसरी ओर पहाडी जिलों में अभी भी कुछ ऐसे गाँव हैं, जहाँ अभी तक सडक ग्रामीणों का सपना ही है। साथ ही  कई ऐसे गाँव हैं जहाँ आजादी के बाद पहली बार सडक पहुंची है। इसका ताजा उदाहरण  बागेश्वर जिले का सीमांत गाँव नरगोली है।  नरगोली गाँव बागेश्वर जिले का अन्तिम गाँव है।

बागेश्वर मुख्यालय से 55 किमी की दूरी पर बेरीनाग-खाती मोटर मार्ग के बीच में चन्तोला और नरगोली गांव आते हैं। जहाँ तक सडक पहुँचने में 71 साल का समय लग गया। आपको बता दें  कि, वर्ष 2004 में इस रोड की स्वीकृति मिल चुकी थी, लेकिन 2017 के अन्त तक गाँव में रोड पहुंची। वहीँ ग्रामीणों का कहना है कि, उनके कई संघर्षों के बाद आज गाँव में रोड पहुँच पाई है, दो जनपदों के बीच का गाँव होने के कारण कई बार रोड को लेकर आपतियां लगती रही। कभी बागेश्वर जनपद से तो कभी पिथौरागढ जनपद से आपतियों में वनस्पतिक घनत्व का अधिक होना शासन ने बताया। लेकिन ग्रामीणों के ठोस आत्मविश्वास के कारण जब कई बार  प्रतिआवेदन किया गया और इन आपतियों को निराधार बताया गया तो सभी ग्रामीणों की इस  पहल से गाँव तक सडक पहुँच पायी।

ग्रामीणों मानते हैं कि, क्षेत्रीय राजनैतिक नेतृत्व के अभाव के कारण गाँव में रोड को पहुँचने मे इतना समय लग गया। लेकिन इससे शासन-प्रशासन के दायित्व पर भी कई सवाल खड़े होते हैं. साथ ही ग्रामीणों के अनुसार, गाँव मे कोई भी प्रशाशनिक अमला नही है, पटवारी चोकी देवतोली मे बनी 10 लाख रूपये से अधिक खर्च हुए, लेकिन कभी भी वहां पटवारी का कार्यालय नही बना। गाँव मे मूलभूत समस्याओ का भी अभाव है। जिसके चलते क्षेत्र में पलायन की मार बहुत तेजी से बढ़ी है। अब हाल ये हैं कि, गाँव में अब बूढे लोग ही रह गये हैं। वहीं ग्रामीणों का आरोप है कि, जन प्रतिनिधि भी केवल वोट मांगने ही गाँव में आते हैं, लेकिन उसके बाद कोई भी वापस गाँव में मुड के नहीं देखता है।

You May Also Like