नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इकॉनमी में जान डालने और रोजगार के ज्यादा मौके बनाने के लिए दो कैबिनेट कमिटी बनाई हैं। एक कमिटी इन्वेस्टमेंट और ग्रोथ पर फोकस करेगी। दूसरी कमेटी रोजगार और कौशल विकास पर ध्यान देगी। दोनों कमिटी के अध्यक्ष प्रधानमंत्री ही होंगे। इस कदम से पता चलता है कि पांच साल सरकार चलाने के बाद दोबारा सत्ता में आए प्रधानमंत्री इकॉनमी और रोजगार को कितनी प्राथमिकता दे रहे हैं। साथ ही सरकार एक बड़ा आर्थिक सर्वेक्षण कराने की तैयारी में है, जिससे इकॉनमी और विकास योजनाओं की हालत की बेहतर तस्वीर हासिल हो सकेगी। इस सर्वे में पहली बार स्ट्रीट वेंडर्स यानी ठेले-रेहड़ीवालों को भी शामिल किया जाएगा।
लोकसभा चुनाव में बीजेपी बड़े बहुमत के साथ सत्ता में लौटी है। हालांकि, प्रचार अभियान के दौरान इकॉनमी की सुस्ती और रोजगार के मौकों की कमी को विपक्ष ने मुद्दा बनाया था। अब यह माना जा रहा है कि इन दोनों मसलों को जल्द से जल्द सुलझाया जाना चाहिए।
इन्वेस्टमेंट और ग्रोथ से जुड़ी कमिटी में होम मिनिस्टर अमित शाह, हाइवेज एंड एमएसएमई मिनिस्टर नितिन गडकरी, फाइनैंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण और कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री और रेलवे मिनिस्टर पीयूष गोयल के रूप में चार सदस्य होंगे। रोजगार और कौशल से जुड़ी कमिटी में शाह, सीतारमण और गोयल के अलावा 10 सदस्य होंगे। इनमें कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पेट्रोलियम मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान और स्किल्स मिनिस्टर महेंद्र नाथ पांडे शामिल होंगे।
5 साल के निचले स्तर पर जीडीपी ग्रोथ
देश की इकनॉमिक ग्रोथ जनवरी-मार्च तिमाही में 5.8 प्रतिशत रही थी। यह 20 तिमाहियों में इसका सबसे निचला स्तर रहा। वहीं वित्त वर्ष 2019 में जीडीपी ग्रोथ 6.8 प्रतिशत के साथ पांच साल के निचले स्तर पर चली गई थी। कंज्यूमर सेंटीमेंट भी कमजोर बना हुआ है। अप्रैल में कार सेल्स में 16 प्रतिशत गिरावट आई थी, वहीं प्राइवेट इन्वेस्टमेंट और एक्सपोर्ट ग्रोथ में भी नरमी बनी हुई है।
45 वर्षों के उच्च स्तर पर बेरोजगारी
नैशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे से पता चला कि देश के ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर 5.3 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 7.8 प्रतिशत पर रही, जिससे वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान ओवरऑल बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत पर रही। बेरोजगारी दर इस तरह 45 वर्षों के उच्च स्तर पर रही, हालांकि सरकार ने कहा है कि गणना के तरीकों में बदलाव के कारण इन आंकड़ों की पिछली अवधियों से तुलना नहीं की जा सकती है।
बड़ा आर्थिक सर्वेक्षण कराने की तैयारी
इस बीच, सरकार एक बड़ा आर्थिक सर्वेक्षण कराने की तैयारी में है, जिससे इकॉनमी और विकास योजनाओं की हालत की बेहतर तस्वीर हासिल हो सकेगी। सूत्रों के अनुसार, राज्यों की आबादी के हिसाब से लोगों को इसमें शामिल किया जाएगा। कुल 25 करोड़ परिवार इसमें शामिल होंगे। इनमें ज्यादातर गरीब, अति गरीब और मिडिल क्लास के लोग होंगे। इस सर्वे में पहली बार स्ट्रीट वेंडर्स यानी ठेले-रेहड़ीवालों को भी शामिल किया जाएगा। इस सर्वे के लिए 12 लाख सर्वेयरों को ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके बाद एनएसएसओ और लुघ उद्योग मंत्रालय इन आंकड़ों का विश्लेषण करेंगे।
केंद्रीय बजट के पहले डिपार्टमेंट ऑफ इकनॉमिक अफेयर्स हर साल संसद में इकनॉमिक सर्वे ऑफ इंडिया पेश करता है। बड़े स्तर पर कराया जाने वाला यह आर्थिक सर्वेक्षण 5 जून को बजट पेश होने और उसके पारित हो जाने के बाद किया जाएगा। अगले छह महीनों में रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी।