3 करोड़ का टॉयलेट घोटाला

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कहने को तो अब प्रदेश में बीजीपी सरकार है जिसके मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत भष्ट्राचार पर जिरो टॉरलेंस की बात करते हैं। लेकिन कांग्रेस की पिछली सरकार द्वारा केदार हैली सेवा टेंडर पर की गई मनमानी , एन एच-74 के नाम पर की गई धांधली अब बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन रही है। इन्ही चुनौतियों में अब एक और अध्याय जुड़ गया है। जिसको हैलो उत्तराखंड न्यूज ने नाम दिया है 3 करोड़ का टॉयलेट घोटाला । वो घोटाला जिसका बोझ पिछली सरकार जाते जाते प्रदेश के खाते में ड़ाल गई। बाबा केदार की यात्रा 3 मई से शुरू होनी है जिसके लिए कई जगहों पर बायो टॉयलेट लगाए जाने थे औऱ यही से इस भ्रष्ट खेल की शुरूआत हुई । ये काम कायदे से तो पीडब्लूडी के अंतर्गत किया जाता है जिसके लिए टेंडर लिये जाने थे और फिर वर्क ऑडर दिया जाना था। लेकिन आपदा के नियमों का कुछ ऐसा दुरूप्रयोग हुआ कि बिना टेंडर निकाले सीधे ही राज कंसट्रक्शन नाम की एक ‘डी’ श्रेणी कंपनी को वर्क ऑडर उपहार स्वरूप थमा दिया गया  औऱ ये उपहार कोई छोटा मोटा उपहार नहीं बल्कि 3 करोड़ रुपये का उपहार था। यानी की 3 करोड़ रुपये के 100 बायो टॉयलेट का सीधे वर्क ऑडर एक ऐसी कंपनी को जो डी श्रैणी की है।

हालांकि जब हमने PWD

से इस विषय पर बात की उनका कहना था कि आपदा आने के बाद पीडब्लूडी अपने आपदा विंग के माध्यम से कोई भी वर्क ऑडर बिना टेंडर निकाले जारी कर सकती है ऐसा प्रवाधान है और इसी प्रवाधान के तहत उन्होंने ये ऑडर दिया है। मगर सवाल ये है कि अगर इस तरह का कोई प्रवाधान आपदा के बाद बनाया गया था तो सवाल है कि आपदा के चार साल बीत चुके है, इस तरह के प्रवाधानों को क्या अब तक जारी रखने की आवश्यकता है ? क्या कोई समय सीमा इसके लिए तय नहीं की गई थी ? और आखिर किस आधार में एक ‘डी’ श्रेणि कंपनी को  सीधे वर्क ऑडर दे दिया गया ? इन सभी सवालों के बाद अब पिछली सरकार एक बार फिर सवालों के कटघडे में खडी नजर आ रही है। अब प्रदेश की नवनिर्वाचित सरकार को इस मुद्दे पर एक बार विचार अवश्य करना होगा।

केदार नाथ में ये काम हर साल होते हैं लेकिन सावल ये है कि आपदा पुनः निर्माण के नाम पर किसी भी कंपनी को बिना बिना टेंडर निकले सिर्फ वर्क ऑर्डर दे देना कितना जायज़ है। क्यों इस कार्य को आपदा पुनः निर्माण के अंतरगत लाया गया । कही ऐसा तो नही की इस विशेष कंपनी को टेंडर की प्रकिर्या से बचाने और डायरेक्ट फ़ायदा पहुँचने के लिए ऐसा किया गया हो। इसकी जांच होनी चाहिए और ऐसे जितने भी आपदा के नाम पर सीधे वर्क आर्डर दिए गए है उनकी एक बार विवेचना इस सरकार को करनी चाहिये।

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