शिक्षक के ऋणी हम सब…

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गुरु कुम्हार शिष कुंभ है,
गढ़ि गढ़ि काढ़े खोट।
अंतर हाथ सहार दै,
बाहर बाहै चोट॥देहरादून: गुरु की महत्ता के बारे में जितना लिखा और बोला जाए वो कम है, गुरु का महत्व हमारे जीवन में इतना विशेष होता है की हम एक आखर भी उनके मार्गदर्शन के बिना नहीं सिख सकते है। मनुष्य जीवन में उसका सबसे पहले शिक्षक उनके माता-पिता होते है, जो शिशु को बाल्य अवस्था से ही सिख देना शुरू कर देते है, सबसे पहले तो बच्चे को अपने पैरों में चलना, बोलना सही और गलत की पहचान करना माता-पिता ही सिखाते है।उसके बाद हमारे जीवन में गुरु के रूप आते है स्कूल के शिक्षक जिन्हें आज याद कर शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है, आज हर कोई अपने शिक्षकों को याद कर रहे है क्योंकि आज जो कोई भी जिस मुकाम तक पहुंचा है
पांच सितंबर को भारत के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के अवसर पर हर साल शिक्षक दिवस मनाया जाता है। आज के दिन सभी अपने शिक्षकों का सम्मानपूर्ण शुक्रिया अदा करते है जिन्होंने हमारी जिंदगी में ज्ञान के दीपक को जलाया है।शिक्षकों द्वारा दी गई शिक्षा के ऋणी हम सब है,  देश के भविष्य को सवारने के लिए दिए गए शिक्षकों के योगदान को किसी भी काल में भुलाया नही जा सकता है।गुरु पारस को अन्तरो,
जानत हैं सब संत।
वह लोहा कंचन करे,
ये करि लेय महंत॥

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