विकलांग शब्द को परे रख, बनी युवाआों के लिए मिसाल – उम्मुल खेर

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एक विकलांग भारतीय महिला को अपने माता-पिता द्वारा आठवीं कक्षा के बाद पढ़ाई करने की इजाजत ना होने के बावजूद वह उड़ान के रंगों के साथ सिविल सर्विस एगजाम उत्तीर्ण कर चुकी है। 28, वर्षीय उम्मुल खेर, के माता-पिता ने उनकी पढ़ाई को आगे जारी रखने पर आपत्ति जताई थी ।
खेर का जन्म राजस्थान में हुआ ,और वही से उसने पांचवी कक्षा उत्तीर्ण की और उसके बाद वह अपने माता- पिता के साथ दिल्ली आ गई, उसके पिता हजरत निजामुद्दीन अवलीया दरगाह के पास एक सड़क पर विक्रेता के रूप में काम करते थे और पास के एक झुंग्गी झोपडी में रहते थे।
‘’ जहां चाह वहा राह’’ काहवत उम्मुल पर एकदम सटीक बैठती है। हजारो मुश्किलाों और संघर्षो के बाद भी उम्मुल ने कभी हार नही मानी और आखिरकार उसने अखिल भारतीय रैंक 420 प्राप्त कर देश के युवाओ के लिए भी एक मिसाल बन चुकी है। अब विकलांग कोटा पर भारतीय प्रशासनिक सेवाओं (आईएएस) में शामिल होने की उम्मीद है। बचपन से हड्डी विकार के रोग से जूँझने के बाद भी उसने अपने सपने को कभी मरने नहीं दिया और अपने जुनून के साथ सफलतापूर्वक विजय प्राप्त कर दिखाई ।

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