यात्रियों की जान से हो रहा है खिलवाड़ – परिवहन विभाग दिख रहा जिम्मेदार

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उत्तराखंड एक पर्यटन स्थल है। जिसका मुख्य राजस्व चार धामों से आता है। चार धाम जहां देश विदेश से करोड़ो श्रद्धालु हर साल यहां आते है। अपने इस छवि के कारण उत्तराखंड पूरे देश में देवभूमि के रूप में जाना जाता है।

लेकिन देवभूमि पर हो रही सड़क दुर्घटनाएं हर साल इसकी छवि पर धब्बा लगा रही हैं। दरअसल हर चौथे दिन श्रद्धालुओं को चार धाम ले जाने वाली गाड़ियों के दुर्घटना ग्रस्त होने की खबरें आती रहती है। जिसमें मौत एक साथ कई कई लोगों अपना निवाला बना लेती हैं। जिसको देखकर यमराज की भी रूह कांप जाए। जिसके चलते इसी दुर्घटना के भय से यात्री भी चार धाम आने से कतराते है। जिसका सीधा सीधा असर प्रदेश के राजस्व पर पड़ता है।

प्रदेश में चार धाम यात्रा के दौरान होने वाली सड़क दुर्घटनाओं पर जब हैलो उत्तराखंड ने जानकारी ली तो मालूम चला कि अधिकतर हादसे गाड़ियों की फिटनेस में हो रही देरी के कारण हो रहे हैं। सहायक आरटीओ ऋषिकेश के मुताबिक हर गाड़ी को 2 महीने का फिटनेस कार्ड मिलता है, जिसको ग्रीन कार्ड भी बोला जाता है। गाड़ियों को दुर्घटना से बचाने के लिए हर दो महिने में ये फिटनेस कार्ड लेने का प्रवाधान किया गया है।

कागजों औऱ सुनने में ये प्रवाधान शायद सही लगे लेकिन जमीन पर इसकी हकिकत हादसों के रूप में बयां हो रही है। मालूम हो कि जब एक कमर्शियल गाड़ी चार धाम यानी की लगभग 1400 किमी. के ऊंची नीचे रास्तों से होकर गुजरती है तो उसकी हालत जैसे दयनीय हो जाती है। जिसके बाद जब वो यात्रा कर लौटती है तो उसकी हालात फिटनेस की मांग करती है। लेकिन बावजूद इसके वो गाड़ी दो महीनों के भीतर 3 से 4 चक्कर चार धाम के लगा देती है।

जिसका नुकसान भगवान पर विश्वास रखकर यात्रा करने आए यात्रियों को झेलना होता है। इसलिए प्रशासन को चाहिए वे जल्द ही अपने इस नीयम में संशोधन कर चार धाम जाने वाली हर कमर्शियल गाड़ी के फिटनेस सर्टिफिकेट की समय सीमा को कम करे। कमर्शियल गाड़ी द्वारा हर बार चार धाम से लौटकर फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करवाना जरूरी हो, ये प्रवाधान प्रशासन द्वारा होना चाहिए। ताकि चार धाम की यात्रा करने आने वाले सभी यात्रियों के लिए भयमुक्त औऱ सुरक्षित हो।

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