त्रिपाठी आयोग की रिपोर्ट हुई आउट – त्रिवेंद्र सिंह रावत को मिली क्लीन चिट

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ढ़ैचा बीज घोटाला जो पिछले कई सालों से त्रिवेंद्र सिंह रावत औऱ बीजेपी की नाक पर सवाल बना हुआ था, अब बीजेपी ने उत्तर दे दिया है। बीते रोज सदन में सरकार ने त्रिपाठी आयोग की एक्शन टेकन रिपोर्ट को सदन के पटल पर ऱखकर अपनी नाक को ऊंचा कर लिया। दरअसल, त्रिपाठी आयोग की रिपोर्ट में तत्कालीन कृषि मंत्री और वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और तत्कालीन कृषि सचिव और वर्तमान में प्रमुख सचिव ओमप्रकाश को क्लीन चिट दी गई है।

सरकार का कहना है कि त्रिपाठी आयोग की यह रिपोर्ट लगभग एक साल पहले सरकार को आयोग द्वारा सरकार को सौंप दी गई थी। लेकिन पिछली सरकार ने यह रिपोर्ट दबा कर रखी जो की विधानसभा की मर्यादा के विरूद्ध है।

त्रिपाठी आयोग द्वारा पूर्व सरकार को क्लीन चिट के साथ रिपोर्ट सौंप दी गई थी। बावजूद इसके तत्कालीन सरकार ने तीन बार दुबारा इस पर जांच के आदेश दिये। तीनों बार जब एक्शन टेकन रिपोर्ट में कुछ नहीं मिला तो सरकार ने रिपोर्ट को दबा दिया। अब अगर हम उस रिपोर्ट को सदन में सबके सामने लाए हैं तो ये एक रूटीन कार्य का हिस्सा है। इसमें अगर विपक्ष को लगता है कि हमने कोई छेड़खानी की है तो वह उसे साबित करें, हम सजा के लिए तैयार हैं।

मदन कौशिक  (प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ) हैलो उत्तराखंड से बात करने पर..

 बता दें कि वर्ष 2005-06 में कृषि विभाग ने प्रदेश में खरीफ की फसल को बढ़ावा देने के लिए ढैंचा बीज वितरण करने की योजना बनाई। पर्वतीय इलाकों में ढैंचा के उन्नत बीज वितरण के लिए टेंडर निकाले गए थे। इसके क्रम में तत्कालीन कृषि निदेशक ने योजना को मूर्त रूप देने के लिए विभाग को निर्देश जारी किए।

इस दौरान ऊधमसिंह नगर, देहरादून व चंपावत में तकरीबन 15,000 कुंतल ढैंचा बीज की आवश्यकता बताते हुए टेंडर जारी कराए गए। आरोप यह लगे की यह टेंडर 60 फीसद से अधिक दर पर दिए गए। इसके बाद वर्ष 2010 में एक निजी कंपनी को बिना टेंडर प्रक्रिया अपनाए बीज आपूर्ति का भी ठेका दे दिया गया। जिसके बाद कांग्रेस सरकार ने इसकी जांच त्रिपाठी आयोग को सौंपी थी।

 

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