डीजीसीए की भूमिका संदेह में, यूकाडा भी घेरे में..

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कुछ दिन पहले बद्रीनाथ में हुआ हादसा कई सवाल खड़े करता है। सवाल डीजीसीए पर, सवाल सरकार पर और सवाल यूकाडा पर।

बता दें की डीजीसीए ने सहस्त्रधारा, हरसिल, बद्रीनाथ औऱ खरसाली में हादसे के बाद ही इन चारों हेलिपेडो पर रोक लगाने के आदेश दे दिये थे। जिसके बाद अब डीजीसीए ने सरकार को 16 जून तक का समय दिया है। लेकिन अब सवाल यहां ये उठता है कि जब ये चार हेलिपेड असुरक्षित बताये जा रहे हैं तो फिर ऐसे में 16 तारीख तक का समय देना क्या दुर्घटना को आमंत्रण देना नहीं है ?

लेकिन जहां डीजीसीए ने केदारनाथ में चार से पांच दिन तक लगातार यात्रियों की परेशानी के बावजूद हर हेलिपेड का निरिक्षण किया वहीं तीन हेलिपेडों पर सिर्फ एक  फायर एक्टिंगशन होने और हरसिल में एक भी फायर एक्टिंगशन न  होने के बावजूद इन को अनुमति दे दी गई। एक हफ्ते पहले ही हरसिल में दो फायर एक्टिंगशन भेज गए हैं।

 इसलिए……..

पहला सवाल डीजीसीए से यह कि जब हेलिपैड़ो पर इंतजामात मानक के अनुरूप नहीं थे तो फिर उन हैलिपैड़ो पर उड़ान की परमिशन क्यों दी गई ?

क्यों एक इंजीनियर की मौत के बाद ही डीजीसीए जागा है ?

दूसरा सवाल यूकाड़ा से यह कि डीजीसीए के कहने के बावजूद क्यों अब तक हेलिपैड़ों पर यात्रियों की सुरक्षा के मापदंड़ो को पूरा नहीं किया गया,जिसके कारण अब डीजीसीए को हेलीसेवा रोकने के आदेश देने पड़ रहे हैं ?

तीसरा सवाल सरकार से कि केदारनाथ में सेफ्टी औऱ अनुभव के नाम पर इंडिया फलाई सेफ का टेंडर निरस्त करने वाली सरकार चार धाम हेली सेवा पर क्यों इन मानकों को नजर अंदाज कर रही है ? जबकिं चार धाम यात्रा में लगभग दुनियाभर के श्रद्धालु हेलिसेवा लेते हैं। यानी दुनिया भर के श्रद्धालुओं की जान से हेली कंपनियां भी खेल रही हैं और सरकार भी मौन है।

इन तीनों सवालों के जवाब जनता की सुरक्षा और प्रदेश की प्रतिष्ठा से जुड़े हैं। क्योकिं भय मुक्त यात्रा का संदेश पूरी दुनिया में देने वाली सरकार अगर हेली सेवा पर ढ़िलाई दिखाती है तो फिर यात्रा का भय युक्त होना तय है। बता दें कि रोजाना यहां हर हेलिपेड पर 7 से 8 लेंडिंग हो रही थी।

सूत्रों की मानें तो चार धाम यात्रा में सेफ्टी और अनुभव के मानकों को नजरअंदाज करने के पीछे हेली कंपनियों और यूकाडा की सांठगांठ की भी खबरें आ रही हैं।

जिस पर जल्द से जल्द त्रिवेंद्र सरकार को कोई एक्शन लेना होगा। ताकि प्रदेश में सुरक्षित यात्रा के वादे की साख बनी रहे।

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