ठंडे बस्ते की ओर जाती हरीश रावत की घोषणाएं..

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मंयक ध्यानी

पिछली सरकार के मुखिया औऱ  मुखिया की घोषणाएं किसे याद नहीं । लगभग चार हजार से ज्यादा की पूर्व मुख्यमंत्री की घोषणाएं चुनाव होने तक चर्चा का विषय रही। अब क्योकिं सत्ता परिवर्तन हुआ है और मुखिया बदला है, तो अब पुराने मुखिया की घोषणाओं पर फंडिंग के काले बादल छाने लगे हैं।

वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने हमसे बात कर ये साफ कहा कि जिन घोषणाओं पर कार्य 50 से 80 फिसदी तक पूरा हो चुका है, उन कार्यों को हमारी सरकार द्वारा पूरा किया जाएगा। लेकिन जिन घोषणाओं पर अभी तक कार्य शुरू ही नहीं हुआ है, उन घोषणाओं की पहले समीक्षा होगी उसके बाद ही फंड रिलीज किया जाएगा।

यानी मतलब साफ है कि  पिछली सरकार की कई घोषणाएं अब ठंडे बस्ते की ओर धकेली जा सकती हैं। हालांकि मुख्यमंत्री की घोषणाओं को दरकिनार करना या ठंडे बस्ते में डालना बेशक इस प्रजातंत्र में अच्छी परंपरा नहीं मानी जा सकती लेकिन इस प्रदेश की माली हालात औऱ ऊपर चढ़े लगभग 45 हजार करोड़ के कर्ज को देखते हुए लगता है कि पहले किसी भी घोषणा की समीक्षा कर लेना ही बेहतर है ।

लेकिन इसके साथ यह भी देखना होगा कि किसी भी घोषणा को सिर्फ राजनैतिक प्रतिद्वंदिता के चलते खारिज न कर दिया जाए बल्कि राज्यहित की दृष्टि से ही सभी घोषणाओं की समीक्षा की जाए।

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