क्यों टकरा रहे हैं..हरीश रावत औऱ प्रीतम सिंह ?

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हरीश रावत इन दिनों लगातार धरने प्रदर्शन कर रहे हैं। कभी सत्र गैरसैंण में न करने को लेकर तो कभी किसानों की कर्ज माफी को लेकर । आज दलित उत्पीड़न औऱ समाजिक सौहार्द को लेकर हरीश रावत फिर हरिद्वार में धरने पर बैठे।

धरने के माध्यम से अपना विरोध जताना लोकतंत्र की परंपरा रही है इसलिए हरीश रावत के धरने पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता। लेकिन सवाल तब खुद –ब-खुद उठ खड़ा होता है, जब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के इस कार्यक्रम की जानकारी होने से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह खुद किनारा कर लेते हैं। यानी अब हरीश रावत कहां क्या करते हैं इसकी जानकारी भी प्रीतम सिंह को नहीं दी जाती ।

माना की हरीश रावत सूबे के पूर्व मुखिया है, वहीं मुखिया जिनकी कैबिनेट में प्रीतम सिंह भी शामिल थे। लेकिन आज परिस्थितियां दूसरी हैं आज प्रीतम सिंह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं औऱ हरीश रावत वरिष्ठ कांग्रेसी नेता…इसीलिए अपने किसी भी कार्यक्रम से पहले उसकी जानकारी अपने पार्टी अध्यक्ष को देना पार्टी के सभी छोटे से लेकर वरिष्ठ नेताओं की एक नैतिक जिम्मेदारी है। लेकिन शायद प्रीतम सिंह को अपने कार्यक्रम की जानकारी देना हरीश रावत को मंजूर नहीं। इसी की बानगी है जो आज देखने को मिली… कहीं ये किसी टकराव की अंदेशा तो नहीं ?

प्रीतम सिंह से जब हमारी बात हुई तो उन्होनें हमे बताया कि हरीश रावत हमारे वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन हरीश रावत के इस कार्यक्रम की जानकारी उन्हें नही थी, साथ ही उन्होनें यह बात भी कबूली कि पार्टी के किसी भी नेता द्वारा अपने कार्यक्रम की जानकारी पार्टी अध्यक्ष को देना उसकी नैतिक जिम्मेदारी होती है।

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