क्या हमें आतंकी हमले के लिए तैयार रहना चाहिए?

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हम कड़ी सुरक्षा की बात तो आये दिन करते है लेकिन क्या हमें पता है कि हम आखिर कितने सुरक्षित है, हकीकत से कही हम कौसो दूर तो नही। क्या आप ऐसे किसी विस्फोटक प्रदार्थ के बारे में जानते है जिन्हें कोई भी मशीन पहचान नही सकती कि वो विस्फोटक है या नही?

जी हाँ देश में कई विस्फोटक प्रदार्थ भी है जिनकी पहचान न एक्‍स-रे मशीन कर पाती है और न ही कोई डॉग स्क्वॉड, केवल फॉरेंसिंक जांच से ही पता लगाया जा सकता है कि ये वाकई विस्फोटक है या नही। सफेद पाउडर के रूप में बाजार में मौजूद दुर्लभ विस्फोटक पाउडर प्लास्टिक एक्सप्लोसिव है, जो डेटोनेटर के साथ ही काम करती है।

इस विस्‍फोटक प्रदार्थ कि घातकता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इसकी महज सौ ग्राम की मात्रा किसी कार के परखच्‍चे उड़ाने के लिए काफी होती है। साथ ही डिटेक्ट न होने कि वजह से इसे कोई भी अपने साथ सरलता से ले जा सकता है।

ऐसा ही खतरनाक विस्‍फोटक उत्तर प्रदेश विधानसभा में भी बीते दिनों बरामद हुआ है, जिससे पूरा देश खौफजदा है, विधानसभा के अंदर नेता विपक्ष की कुर्सी के करीब 150 ग्राम विस्फोटक बरामद हुआ है। जिसका वैज्ञानिक नाम पेनाटेरीथ्रीटोल टेट्रानाइट्रेट या पीईटीएन है। ये दुनिया के पांच सबसे खतरनाक विस्फोटकों में से एक है जिसमे न कोई गंध होती है और न ही कोई धातू।

विविध सुरक्षा के घेरो से घिरे विधानसभा में ऐसे खतरनाक विस्फोटक की मौजूदगी से आम जनता की सुरक्षा व्यवस्था भी सकते में आ जाती है। बहुस्तरीय सुरक्षा चक्रों से गुजरने के बावजूद भी ऐसा विस्फोटक विधानसभा तक कैसे पहुँचा, जहां विधायकों, मंत्रियों, सफाईकर्मचारी और मार्शल को ही जाने की इजाजत है, ये अपने-आप में बड़ा सवाल है जिसकी जांच अब NIA द्वारा करवाई जा रही है।

लेकिन इतना सब होने के बाद एक बात का अंदाजा तो लगाया जा सकता है कि विधानसभा में मिले इस विस्फोटक प्रदार्थ को वहा पहुँचाने के पीछे विधायकों, मंत्रियों, सफाईकर्मचारी या मार्शल में से किसी एक का हाथ हो सकता है।

इतना सब होने के बाद सुरक्षा को लेकर यूपी विधानसभा में नई गाइड-लाइन बनाई गई है जिसमे – हर गेट पर क्विक रेसपॉन्स टीम की तैनाती; अंदर ए0टी0एस की टीम; एंट्री गेट समेत 6 जगहों पर स्कैनर; कर्मचारियों के पुलिस वेरिफ़िकेशन ; पुरानी गाड़ियों के पास रद्द करना; (विधायक, स्टाफ़ को छोड़ सभी के पास रद्द); ड्राइवरों के पास बनाना, जिन्हें विधायक प्रमाणित करेंगे शामिल है

योगी ने सभी से इन गाइडलाइन का अनुकरण करने को कहा है, लेकिन सवाल ये उठता है की क्या हमेशा नियमो को अपनी जेब में लेकर घूमने वाले मन बढे हुए माननीय गण इसका अनुकरण करेंगे?

विधानसभा के अंदर विस्फोटक ले जाने में 403 विधायक, 85 मार्शल-सुरक्षाकर्मी और 20 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों में से ही कोई शामिल हो सकता है, विधानभवन के मंडप तक जाने की परमिशन सिर्फ इन्हीं लोगों को है। इनके अलावा वहां कोई और नहीं जा सकता है। ये सभी जांच के दायरे में हैं।

विधानसभा सदन के अंदर विस्फोटक मिलना सुरक्षा में एक बड़ी चूक है। इसे आतंकी हमले या सरकार की बदनामी दोनों चश्मों से देखा जा सकता है, कहीं सरकार को घेरने के लिए इस करतूत को अंजाम तो नहीं दिया गया। कोई माननीय जी इसके सूत्रधार तो नहीं। यह सवाल इसलिए भी लाजमी है क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इशारों इशारों में इस बात को कह गए है कि लोग “शरारत पर उतर आये है”।

गौरतलब है कि 2011 में दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर धमाके में इस विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था। ऐसे विस्फोटक अलकायदा और लश्कर-ए- तैयबा जैसे आतंकी संगठन इस्तेमाल करते है इसलिए ये गंभीर चिंता का विषय है।

चाहे इसे सरकार कि किरकिरी के लिए विधान भवन में रखा हो या आतंकी हमले कि साजिश के चलते, दोनों ही सूरत में हमें सतर्क हो जाना चाहिए क्योंकि ऐसा खतरनाक विस्फोटक अपराधिक गतिविधियों में संलिप्त इन्सान के पास ही पाया जा सकता है.. जो कभी भी हमारे देश के किसी भी कौने में इस्तेमाल कर देश में दहशत और अस्थिरता पैदा कर सकते है।

हमारी सरकार और पुलिस को हाई-टेक तरीके से ऐसे विस्फोटक से निपटने के लिए तैयार हो जाना चाहिए, ये आतंकी हमले या किसी बढे धमाके से पहले कि आहाट भी हो सकती है।

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