आधिकारियो के पैरो तले नियम.. .

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पिटकुल के परियोजना अधिकारी की कुर्सी पाने की जी तोड़ मेहनत में लगे हुए आधिकारी जिनका जिक्र अक्सर तब होता है जब किसी घोटाले की बात सामने आती है, ऐसी चर्चित हस्ती का एक नया कारनामा सामने आया है। इन साहब ने सचिवालय की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिये।

हम बात कर रहे है पिटकुल के चीफ इंजिनियर अनिल यादव की। मामला कुछ ऐसा है की अनिल यादव 12 जुलाई को सचिवालय गये और अधिकारियों का सचिवालय आना-जाना आम बात है।

लेकिन ये सचिवालय प्रवेश कुछ ख़ास था क्योंकि आधिकारी अनिल यादव ने इस प्रवेश के दौरान सचिवालय की सुरक्षा व्यवस्था ताक पर रख दी। अधिकारी साहब ने सचिवालय जाने के लिए इस्तेमाल होने वाले पास में खुद का नाम न लिखकर अपने ही विभाग के जूनियर आधिकारी अजय अग्रवाल का नाम लिख डाला। मुलाकात बताई गई सचिव उर्जा से।

ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर इन्हें अपना नाम छुपाने की क्या जरूरत पड़ गयी? क्या अनिल यादव इस बात को छुपाना चाहते थे कि वो 12 जुलाई को सचिवालय गए थे? क्या सचिवालय में सुरक्षा व्यवस्था के मानको को कोई भी आधिकारी इस तरह रौंद सकता है? क्या सुरक्षा मानक केवल आम नागरिको के प्रवेश के लिए ही है?

अनिल यादव द्वारा सचिवालय प्रवेश के लिए उठाये गये इस कदम से ये सवाल पैदा होना और उनपर संदेह होना तो लाजमी है।

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