अन्य प्राधिकरण की ही तरह कहीं घाटे का सौदा तो नहीं केदारनाथ डैवलपमैंट प्राधिकरण?

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केदारनाथ डैवलपमैंट प्राधिकरण का प्रस्ताव धरातल पर तो आ गया लेकिन उस पर अभी तक अधिकारी व मंत्रिगणों के बीच प्रस्ताव को लेकर तनाव बरकरार है। हैलो उत्तराखंड को दिए गए बयान में एक ओर कैबिनेट मंत्री व उत्तराखंड पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि केदारनाथ डैवलपमैंट सीतापुर तक होगा जिसमें त्रिजुगीनारायण भी शामिल होगा।

लेकिन केदारनाथ विधायक मनोज रावत का कहना है कि यदि केदारनाथ डैवलपमैंट गौरीकुंड तक होगा तो यह प्रस्ताव मुनाफे वाला होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि बिना सोचे समझे इसमें सीतापुर व त्रिजुगीनारयण को कैंसे शामिल किया जा सकता है। हैलो उत्तराखंड से बात करते हुए उन्होंने बताया कि बिना सोचे समझे ही इसमें सीतापुर और त्रिजुगीनारयण को शामिल किया गया है। उनका कहना है कि यदि गौरीकुंड के 6 गावों के अलावा सीतापुर और त्रिजुगीनारायण को भी शामिल किया जाता है तो इन क्षेत्रों से पलायन होना संभव है। फिलहाल सरकार को पलायन को रोकने की कवायाद छेड़नी चाहिए थी लेकिन सरकार खुद ही पलायन को जन्म दे रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर हम जनता के बीच जायेंगें यदि जनता ने इसका विरोध किया तो हम जनता के साथ मिकलकर इस बाबत बड़ा आंदोलन करेंगें।

वही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि हम प्राधिकरण पर सहमत हैं और जहा तक सीतापुर और तिर्जुगिनारायण को इस प्राधिकरण में शामिल करने कि बात है तो हमें लगता है कि यदि केदारनाथ का विकास होता है तो पुरे क्षेत्र का ही विकास होना चाहिए।

 गौरतलब है कि केदारनाथ विकास प्राधिकरण का ढांचा कैबिनेट की बैठक में पेश किया गया था जो स्वीकृत हो चुका है। आपको अवगत करा दें कि प्रदेश में गठित कई प्राधिकरण सरकार को मुनाफा देने के बजाये, आज घाटे का सौदा बने हुए है। और सरकार को पैसा देना तो दूर अपना खर्चा तक वहन नही कर पा रहे है, ऐसे में एक और प्राधिकरण को धरातल पर लाया जा रहा है जो इस सरकार के लिए काफी चुनौती भरा होगा।

अब देखना यह होगा कि क्या सरकार इन तमाम चुनौतियों पर खरा उतर पाती है कि नहीं, या फिर यह प्राधिकरण भी केवल प्रदेश सरकार के लिए घाटे का सौदा साबित होगा?

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