उच्चकुलीन पंडितों से निम्न जाति के श्रद्धालुओं को पूजा करने से मना न करने के आदेश

Please Share

नैनीताल: हाईकोर्ट ने उच्चकुलीन पंडितों से निम्न जाति के श्रद्धालुओं को पूजा करने से मना न करने के आदेश दिए हैं। साथ में न्यायालय ने यह भी आदेशित किया है कि एसी, एसटी और अन्य निम्न वर्ग के लोगों को उत्तराखंड के किसी भी मन्दिरों में पूजा करने व प्रवेश करने से न रोका जाय। इसके अलावा खंडपीठ ने सर्वोच्च न्यायलय के निर्देशों के क्रम में कहा है कि मन्दिरो का पुजारी किसी भी जाति का हो सकता है। लेकिन शर्त यह होती है कि वह पुजारी पद के लिए प्रशिक्षित व योग्य हो।
वरिष्ठ न्यायमूर्ति राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति लाकपाल सिंह की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार राजस्थान निवासी पुखराज व अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि हरिद्वार में हरकी पैड़ी में जो सीढियाँ अर्ध कुम्भ मेले के दौरान बनाई गयी थी ये सीढिया सजंयपुल व संत रविदास मंदिर को जोड़ती है। इन सीढ़ियों के बनने पर मंदिर को बहुत नुकसान हुआ था और लोगों को मंदिर दर्शन से भी वंचित रहना पड़ा था। सरकार ने 2016 में एक आदेश पारित कर 42 लाख 17 हजार रूपये स्वीकृत किए ‌थे जिससे रविदास मंदिर के समीप  फिर से सीढिया बनाई जा रही है, जिससे मंदिर को फिर से नुकसान हो रहा है। याचिका में कहा कि सरकार सिर्फ सरकारी धन का दुरूपयोग कर रही है इसलिए इसे रोका जाय। मामले को सुनने के बाद खंडपीठ ने जिला प्रशासन हरिद्वार की निर्देश दिए कि वह मन्दिर की सीढिया हटाने से पूर्व नगर निगम के अलावा एससी एसटी वर्ग के लोगों के साथ बैठक करें। साथ ही न्यायालय ने आदेश पारित कर हरिद्वार के सभी सड़कों, गलियों व पैदल  मार्गो से अतिक्रमण डेढ़ माह के भीतर हटाने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि चंदीघाट व चंदीपुल में हुए अवैध कब्जों को हटाने के लिए विशेष अभियान चलाये। कोर्ट ने जिला अधिकारी हरिद्वार को निर्देश दिए हैं कि वे गंगा घाट की साफ सफाई सुनिश्चित करें और कूड़े का निस्तारण वैज्ञानिक तरीके से करें। कोर्ट ने गढ़वाल के कमिश्नर को निर्देश दिए हैं कि वे उन अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करें जिनके कार्यकाल में अतिक्रमण हुआ है। जिला अधिकारी को यह भी निर्देश दिए हैं कि वे सुभाष घाट व तुलसी घाट में बह रहे कूड़े को रोकने के लिए जाल लगाए। कोर्ट ने कहा कि हरकी पैड़ी में स्वामी रविदास का एक ही मंदिर है इसलिए इस मंदिर का उचित रखरखाव व सौंदर्यींकरण तीन माह के भीतर किया जाय।

You May Also Like