वारूणी यात्रा में होते हैं, 33 करोड़ देवी-देवताओं के दर्शन

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उत्तरकाशी: गुरूवार को पंचकोसी यात्रा के लिए ब्रह्ममुहूर्त से ही श्रद्धालुओं के जत्थे निकलने शुरू हो गए थे। वहीं देर शाम तक भी श्रद्धालुओं की भीड़ जनपद के विभिन्न मंदिरों में लगी रही। जबकि करीब 14 किमी लंबी इस पदयात्रा की शुरूआत श्रद्धालुओं ने बड़ेथी संगम स्थित वरुणेश्वर मंदिर के पास जल भरने तथा समाप्त गंगोरी में भागीरथी नदी तट पर स्नान व जनपद मुख्यालय के विभिन्न मंदिरों के दर्शन कर की।
प्रत्येक वर्ष चैत्र महीने होने वाली पंचकोसी यात्रा गुरूवार के दिन आयोजित की गई। वहीं इस यात्रा में वरूणाघाटी के विभिन्न देवी-देवताओं के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की खूब भीड़ देखने के मिली। स्कंद पुराण की माने तो इस यात्रा में श्रद्धालु 33 करोड़ देवी-देवताओं के दर्शन करते हैं। भले ही गुरूवार को सुबह से ही जनपद में मौसम खराब रहा। लेकिन पंचकोसी यात्रा के लिए श्रद्धालुओं की भक्ति में कोई कमी देखने को नहीं मिली। इस पंचकोसी यात्रा का प्रारंभ बडेथी त्रिवेणी से होते हुए इसके बाद बसूंगा में अखंडेश्वर, साल्ड में जगरनाथ और अष्टभुजा दुर्गा,ज्ञाणजा में ज्ञानेश्वर और व्यास कुंड, वरुणावत शीर्ष पर शिखरेश्वर तथा विमलेश्वर महादेव, संग्राली में कंडार देवता, पाटा में नर्वदेश्वर मंदिर में जलाभिषेक और पूजा-अर्चना का सिलसिला शाम तक चलता रहा। वहीं इस पंचकोसी यात्रा के अंतिम पडाव जिसमें वरुणावत से उतरकर श्रद्धालुओं ने गंगोरी में असी गंगा और भागीरथी के संगम पर स्नान के बाद नगर के विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना एवं जलाभिषेक के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचकर यात्रा संपन्न की। इस दौरान यात्रा के विभिन्न पड़ावों पर पड़ने वाले गांव के ग्रामीणों की ओर से श्रद्धालुओं के लिए चौलाई के लड्डू के साथ विभिन्न पकवानों का प्रसाद बनाया गया था। साथ ही जिला प्रशासन की ओर से वारुणी यात्रा के धार्मिक महत्व को देखते हुए श्रद्धालुओं के लिए पानी के टैंक के साथ चिकित्सा व्यवस्था की गई थी।

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