उत्तराखंड: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाएं- 6 अस्पतालों में हुआ रेफर, समय से इलाज नहीं मिलने पर गंवाया हाथ

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देहरादून: उत्तराखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली का खामियाजा आए दिन लोगों को भुगतना पड़ रहा है। यहाँ तक कि, कई बार लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ जाती है। वहीँ समय पर उचित उपचार नहीं मिलने के चलते पौड़ी के एक युवक को अपना हाथ गंवाना पड़ा। इतना ही नहीं इससे पहले युवक को लगातार करीब 6 अस्पतालों से रेफर किया गया। इसके बावजूद अब भी युवक की स्थिति गंभीर बनी हुई है। वहीँ युवक के परिजनों ने आयुष्मान कार्ड को लेकर भी हॉस्पिटल पर आरोप लगाए हैं।

मामले के अनुसार, जयपाल सिंह नेगी पुत्र कुलवन्त सिंह नेगी, ग्राम चुरानी, ब्लॉक रिखणीखाल जिला पौड़ी गढ़वाल, 19 अगस्त को बिजली करन्ट लगने से बुरी तरह झुलस गए। जिसके बाद ग्रामीण इनको तत्काल प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र रिखणीखाल लाये, किन्तु उचित स्वास्थ्य सुविधा नही होने के कारण उसी दिन इनको बेस अस्पताल कोटद्वार रेफर किया गया। यहां भी उचित इलाज नही मिलने के कारण उसी दिन एम्स ऋषिकेश रेफ़र किया गया। यहां बर्न यूनिट नही होने के कारण उसी रात को इनको देहरादून के लिए रेफर किया गया।

जानकारी के मुताबिक, एम्बुलेंस कर्मी ने इनको जानकारी दी कि जगदम्बा सेंटर रिस्पना देहरादून में बर्न यूनिट है और अच्छा इलाज होगा। इनकी सहमति से जगदम्बा सेंटर में इनको भर्ती कर दिया गया, जहां उचित इलाज नही मिलने के कारण अगली दोपहर फिर इन्हें कोरोनेशन अस्पताल देहरादून में भर्ती किया गया। जहां एक सप्ताह इलाज हुआ। जहाँ इनका ऑपरेशन हुआ और बायां हाथ कुहनी के ऊपर से काट दिया गया है। इसके बाद स्थिति नाजुक देख और पीलिया के लक्षण देखकर डॉक्टर ने इनको महन्त इंद्रेश अस्पताल देहरादून के लिए रेफर कर दिया।

आज इनके स्वास्थ्य में खास सुधार नही है और बायें हाथ को पुनः कंधे से कटना है। साथ ही पैर और शरीर के जख्म भी ठीक स्थिति में नही हैं। शरीर करीब 40% तक जल चुका है। लेकिन यह विडंबना ही है कि प्रदेश मे इस प्रकार की दुर्घटनाओं से बचने और त्वरित इलाज के लिए संसाधन और अस्पताल ही उपलब्ध नही है। पहाड़ी क्षेत्त्रों में भी स्वास्थ्य सुविधाओं की अत्यंत खराब स्थिति है। यहाँ के अस्पताल मात्र फर्स्ट एड और रेफ़रल सेंटर बन कर रह गये हैं।

वहीँ चिकित्सकों की माने, ऐसी स्थिति में के घटना के 6 घंटे के अंदर उचित इलाज मिलना आवश्यक होता है। तभी अंग भंग होने से बचा जा सकता है, जो उक्त युवक को नही मिल सका और अपने अंग खोने को मजबूर हुआ।

वहीँ जयपाल एक बेरोजगार युवक है। इनके परिवार में 75 वर्षीय बुजुर्ग, माता-पिता, पत्नी, 2 बेटियां और 1 बेटा है। इनकी पत्नी गांव के विद्यालय में पिछले कुछ वर्षों से भोजनमाता का कार्य करती थी, लेकिन छात्र संख्या कम होने के कारण इनकी सेवा समाप्त कर दी गयी।

वहीँ इसी वर्ष हाई स्कूल बोर्ड एग्जाम में इनके पुत्र ने 84.2% अंक प्राप्त किये, इनकी बड़ी पुत्री पीजी कॉलेज कोटद्वार में बीए द्वितीय वर्ष और छोटी पुत्री कोटद्वार में बीए प्रथम वर्ष की छात्रा हैं। परिजनों के मुताबिक, इनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण इनको अपनी आगे की पढाई छोड़नी पड़ी रही है।

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