उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय

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देहरादून: उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी द्वारा बाल अधिकार संरक्षण आयोग के नए वर्ष में कई बिंदुओं पर रूपरेखा तैयार की गई है। इनमे कई महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए उन्होंने कई निर्देश भी जारी किये हैं।
उत्तराखंड बाल आयोग द्वारा आईसीपीएस योजना के अंतर्गत स्पॉन्सरशिप योजना में जहां पहले उन परिवारों को सहायता दी जाती थी जिनकी वार्षिक आय ₹24000 थी इसको बढ़ाकर उन सभी परिवारों की बालक बालिकाओं को मदद देने का निर्णय किया गया जिनकी वार्षिक आय ₹72000 तक है और जिन बालक बालिकाओं के पिता अथवा माता पिता की मृत्यु हो चुकी है उन्हें इस योजना का लाभ दिया जाएगा।
पोक्सो अधिनियम 2012 के अंतर्गत राष्ट्रीय बाल आयोग तथा मानवाधिकार आयोग के सहयोग से राज्य की आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर संसद द्वारा बालिकाओं की यौन उत्पीड़न मामले में फांसी की सजा का प्रावधान तथा ऐसे मामलों में फास्टट्रैक सुनवाई किए जाने का निर्णय लिया गया है जिसमें उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में लगभग 2000 बाद उक्त एक्ट के बनने के बाद से पंजीकृत हुए हैं परंतु पीड़ित बालक बालिकाओं को मुआवजा राशि दिए जाने में शिथिलता हो रही है तथा इस हेतु उत्तराखंड अपराध पीड़ित सहायता योजना 2013 निर्भया फंड आदि के माध्यम से सभी जिला विविध सेवा प्राधिकरण को पंजीकृत वादों के पीड़ितों के लिए शीघ्र मुआवजा राशि तय किए जाने तथा उनको निशुल्क विधिक सेवा उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए गए।
सभी महिला एवं बाल ग्रहों का पंजीकरण निदेशालय महिला एवं बाल विकास विभाग समाज कल्याण के माध्यम से किया जाना अनिवार्य किया गया है तथा प्रदेश में सभी निजी बोर्डिंग स्कूलों का जेजे अधिनियम के अनुसार सत्यापन महानिदेशक शिक्षा द्वारा जनपद स्तर पर कराया जाएगा एवं जो मदरसे तथा मिशनरी बोर्डिंग जहां पर बच्चों को रखा जाता है सभी का शिक्षा विभाग एवं अल्पसंख्यक आयोग मदरसा बोर्ड के माध्यम से जेजे अधिनियम के अंतर्गत सत्यापन किया जाना अनिवार्य किया गया है तथा आप पंजीकृत ऐसे संस्थान के विरुद्ध कार्यवाही सुनिश्चित करने एवं बाल कल्याण समिति के माध्यम से बच्चों को सुरक्षित बाल ग्रहों में स्थानांतरित करने के लिए आदेश किए हैं।
उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार सभी किशोर न्याय बोर्ड तथा वन स्टॉप सेंटर में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था की जाने का प्रावधान करने तथा बालक उत्पीड़न से संबंधी मामलों का त्वरित निस्तारण करने के निर्देश जारी की गई एवं वर्तमान में देहरादून एवं हरिद्वार में वन स्टॉप सेंटर बनाए गए हैं जिसको सभी जनपदों में स्थान चिन्हित कर अग्रिम 6 माह में खोलने का निर्देश जारी किया गया तथा वन स्टॉप सेंटर में 5 दिनों तक पीड़ित बालिका बालक महिला को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है जिस कारण से इसकी महत्वपूर्ण जरूरत को देखते हुए जनपद स्तर पर आवश्यकता के आधार पर सभी जनपदों में स्थापित किया जाएगा।
बालकों के मामले में प्रायः देखा गया है कि पुलिस से संबंधित कार्यवाही में विलंब होता है एवं बच्चों को थाना कोट आदि जगहों पर परेशानी का सामना करना पड़ता है जिस कारण जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से महिला बाल विकास विभाग तथा विधि आयोग आज की सहायता से पुलिसकर्मियों का प्रशिक्षण जनपद स्तर पर कराया जाएगा, जिससे कि इस संबंध में आने वाली कठिनाइयों को दूर किया जा सके।
उत्तराखंड की सभी जिलों में बाल कल्याण समिति एवं किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य अध्यक्ष पद पर नियुक्त लंबित चली आ रही है जिसको सभी प्रोवेशन अधिकारियों के माध्यम से आवेदन मांगे गए थे वर्ष 2019 के जनवरी माह में सभी जनपदों में उक्त रिक्तियों को पूर्ण करने के आदेश जारी किए गए।
सभी जिलों में शिक्षा विभाग द्वारा संचालित स्कूल जो कि बंद किए जा चुके हैं एवं ऐसे सरकारी विभागों के खाली भवन जो कि ठीक-ठाक स्थिति में उनको बाल गृहो हेतु चयन करने का निर्णय एवं उनकी डीपीआर तैयार करने हेतु आदेश जारी किए जा रहे हैं।
प्रदेश के बाल निकेतन बाल ग्रहों में दूसरे राज्यों के जो बच्चे उत्तराखंड में रह रहे हैं उनको बाल कल्याण समिति जेजे बोर्ड के माध्यम से चिन्हित करते हुए अन्य राज्यों के बाल आयोगों से संपर्क कर उनको उन राज्यों में स्थानांतरित किए जाने के निर्देश हुए।

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