सोशल मीडिया पर सनसनी फैलाने वाली फोटो की सच्चाई

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नई दिल्ली: किसान क्रांति यात्रा की जितनी चर्चाएं हुई। उससे कहीं अधिक चर्चा एक किसान की फोटो ने बटोर ली। फोटो के पीटीआई से जारी होते ही यह देश-दुनिया में शोसल मीडिया पर वायरल हो गई। प्रदर्शन के दौरान किसान और जवान आमने-सामने कई जगहों पर आए, लेकिन एक ऐसी तस्वीर सामने आई जिसने सोशल मीडिया पर सनसनी फैला दी। क्या आम क्या खास, सभी ने इस तस्वीर की अपनी हिसाब से आंकलन किया। इस फोटो की सच्चाई पीटीआई से जुड़े फोटो पत्रकार ने इंडिया टुडे को इस फोटो की पूरी सच्चाई बताई। आप भी जानें कि आखिर उसकी सच्चाई है क्या…?

फोटो लेने वाले फोटो पत्रकार रवि ने बताया कि हमें जानकारी थी कि किसान आज दिल्ली में दाखिल हो सकते हैं और पुलिस उन्हें दिल्ली-यूपी बॉर्डर के पास रोक सकती है। मैं सुबह सात बजे ही यहां पहुंच गया था। काफी देर इंतजार करने के बाद किसानों का एक छोटा समूह 9 बजे के आसपास पहुंचा। लगभग 11 बजे के आसपास करीब 5 हजार किसान आ गए। कुछ किसान पीछे, थोड़ी दूरी पर रुके हुए थे। किसानों के रास्ते में यूपी पुलिस की भी एक बैरिकेडिंग थी।

बैरिकेड को किसानों ने हटा दिया और यूपी पुलिस के जवानों ने भी एक तरह से उन्हें रास्ता दे दिया। अब किसानों का जत्था अपने ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ दूसरी बैरीकेड के पास पहुंचा। ये बैरीकेड दिल्ली पुलिस ने लगाया था। एक तरफ जोश से भरे किसानों का जत्था और बैरीकेड के दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस के जवान और वॉटर कैनन की गाड़ियां खड़ी थीं। मैं अपने कुछ फोटोग्राफर साथियों के साथ इस सड़क से लगे फ्लाईओवर पर खड़ा था।

पुलिस ने काफी देर तक किसानों पर पानी बरसाया और आंसू गैस के गोले दागे। किसान इस एक्शन से तितर-बितर हो गए। उनके झंडों में से कपड़ा गायब हो गया और उनके हाथ में केवल डंडे रह गए। किसानों ने पुलिस की तरफ कुछ-कुछ फेंकना शुरू किया। उनमें काफी गुस्सा था। तभी मुझे दिखा कि सड़क के किनारे कुछ हो रहा है। मैंने अपने कैमरे का जूम बढ़ाया तो दिखा कि पुलिस के डंडे के जवाब में एक बुजुर्ग किसान ने भी डंडा उठाया हुआ है। मुझे यह दृश्य काफी मार्मिक लगा।

तस्वीर में आप देख सकते हैं कि एक तरफ पुलिस के कई जवान हैं वहीं दूसरी तरफ वो (किसान) अकेले खड़े हैं। इस तस्वीर में व्यवस्था की ताकत को एक बुजुर्ग किसान का गुस्सा, चुनौती दे रहा है। मानों वो कह रहा है, हम हारे नहीं हैं। लेकिन ये तो तस्वीर का एक पहलू है। दूसरा पहलू ये कि वो किसान अकेले नहीं थे बल्कि उनके साथ किसानों को एक छोटा ग्रुप था जिसे आप इस फोटो में देख सकते हैं।

रवि से जब पूछा गया कि पीटीआई ने फिर अकेले किसान वाली तस्वीर क्यों जारी की तो उन्होंने बताया कि एक तस्वीर के कई वर्जन होते हैं, एजेंसी को ये वर्जन ज्यादा पॉवरफुल लगा तो जारी कर दिया गया। रवि ने बताया कि सोशल मीडिया पर इसे गलत तरीके से पेश किया गया। रवि ने यह भी बताया कि सोशल मीडिया पर इसे यूपी पुलिस की बर्बरता बताई जा रही है लेकिन इसमें दिल्ली पुलिस के जवान हैं। रवि का कहना है कि मुझे लगता है कि ये तस्वीर तब-तब याद की जाएगी जब-जब किसानों के विरोध का जिक्र होगा।

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