सरकारी उपेक्षा का शिकार राज्य की प्रतिभाएं

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देहरादून: उत्तराखंड में खेल और खिलाडियों की बदहाली हमेशा से ही किसी से छिपी नहीं है। सरकार चाहे जो भी रही हो लेकिन खेलों और खिलाडियों के प्रति उदासीन रवैये से प्रदेश की प्रतिभाओं को या तो दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ता है या तो आर्थिक रूप से कमजोर खिलाडियों को अपने सपने त्यागने पड़ते हैं। ऐसा ही एक और ताजा मामला सामने आया है जहाँ अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीतने वाले खिलाडियों ने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया है।

नेपाल में विगत 16 से 18 फरवरी को संपन्न दक्षिण एशियाई रूरल गेम्स में प्रदेश की दो सगी बहनों मनीषा और रश्मि पाल ने अंडर 17 वर्ग में क्रमशः 1500 मीटर और 800 मीटर स्पर्धाओं में स्वर्ण और रजत पदक जीता। वहीँ उत्तरकाशी की रेखा चौहान ने 100 मीटर में रजत पदक जीता है। बालकों की अंडर 14 स्पर्धा में रोहित चन्द्र कुनियाल ने स्वर्ण पदक जीता। साथ ही रोहित को बेस्ट एथलीट भी चुना गया। इन सभी बच्चों को प्रवीण सुहाग ने कोचिंग दी। गौरतलब है कि ये प्रतिभावान खिलाडी गरीब परिवारों से आते हैं, लेकिन सरकार से गुहार के बाद भी इनको कोई मदद नहीं मिली। वहीँ स्वर्ण पदक विजेता मनीषा के पिता हेल्लो उत्तराखंड न्यूज़ से बात करते हुए भावुक हो गये। उन्होंने कहा कि वे गरीबी में किसी तरह परिवार का भरण-पोषण करते हैं लेकिन वे अपनी बेटियों के सपने को साकार करने में आर्थिक रूप से असमर्थ हैं। इसके लिए उन्होंने सरकार से बच्चों को प्रोत्साहन देने की गुहार लगाई है।

वहीँ हेल्लो उत्तराखंड न्यूज़ से बातचीत में खेल संयुक्त निदेशक प्रशांत आर्य ने कहा कि यदि यह खिलाडी सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एसोसिएशन के जरिये प्रतियोगिता में शामिल हुए हैं तो अवश्य ही नियमानुसार खिलाडियों को पुरष्कृत किया जायेगा।

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