तो बालिका निकेतन से इस कारण भागने में हिम्मत जुटा पाईं बालिकाएं!

Please Share

देहरादूनः हाल ही में बालिका एवं शिशु निकेतन से भागी 5 बालिकाओं के मामले में एक नया मोड़ सामने आ गया है। बाल कल्याण समिति अध्यक्ष का कहना है कि जो महिलाएं बालिकाओं की देख-रेख के लिए विभाग में तैनात हैं, वो भागी हुई बालिकाओं की दोस्त भी हैं। जिससे शक की स्वी अब देखरेख कर रही महिलाओं की ओर भी घूम गई हैं।

मिली जानकारी के अनुसार पूछताछ में एक भागने में प्रयासरत बालिका बार-बार देखरेख करने वाली महिला का नाम लेती है जो उन पांचों (भागने में प्रयासरत) से दोस्ताना भी रखती हैं। अब ऐसे में हो सकता है कि देखरेख करने वाली महिला ने ही उनको भागने के लिए उकसाया हो या फिर बालिकाओं की भागने में मदद की हो। सूत्रों के अनुसार यह भी जानकारी मिली है कि जिस दिन पांचों बालिकाएं भागी थीं उस दिन देखरेख केवल एक ही महिला (बीना) ही कर रही थी जिससे बीना पर सवाल ऐ निंशा लगना लाजमी है।

गौरतलब है कि 16 दिसंबर को बालिका निकेतन से पांच बालिकाओं के भाग जाने का मामला सामने आया था। हालांकि बालिकाओं को दोबारा निकेतन में वापस लाया जा चुका है। लेकिन जिन महिलाओं के हाथों इन बेसहारा बच्चों की जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं उनके पास उन बच्चों को संभालने की जिम्मेदारियां तो दे दी गईं लेकिन एक पल के लिए यह नहीं सोचा गया कि कैसे वो इन जिम्मेदारियों को संभालेंगें? क्या वो बच्चों की जिम्मेदारियां ले भी पायेंगीं?

विभाग में 50 से भी ज्यादा बेसहारा बच्चों का पालन-पोषण किया जाता है। यहां पर देखने को यह मिला है कि जिनके हाथों बच्चों की केयर की जा रही है, वो खुद शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम नहीं हैं। तो भला कैसे वो इन बच्चों की देखभाल कर सकते हैं।

बता दें कि इन बच्चों की देखभाल के लिए तीन महिलाओं को देखरेख के लिए रखा गया जो शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम नहीं हैं। हैलो उत्तराखंड न्यूज ने जब इस बाबत बाल कल्याण समिति सचिव (डीपीओ) मीना बिष्ट से जानकारी चाही कि कैसे मानसिक विकार से ग्रस्त महिलाएं बच्चों की देखरेख कर सकती हैं तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए जवाब दिया कि शासन द्वारा ही उनको वह जिम्मेदारी दी गई। हालांकि उनका यह भी कहना है कि सीपी को हमने एक पत्र जारी कर दिया है जिसमें देख-रेख करने के लिए और अन्य आवश्यक कार्यों के लिए 30 लोगों की आवश्यकता बताई है और जल्द ही देख-रेख के लिए उनको तैनात कर दिया जायेगा।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शासन को डीपीओ द्वारा ही चयनितों को यह जिम्मेदारी दी गई वो भी बिना ट्रेनिंग दिए। लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि आखिर किस उद्देश्य और किन कारणों से प्रकाश में आए तीन केयर टेकरों को यहां पर रखा गया? बता दें कि शिशु निकेतन में बच्चों की देखरेख के लिए विभाग ने तीन महिलाओं को रखा जो तीनों ही दिव्यांग हैं। पहली केयर टेकर सारिका नेत्रहीन हैं, दूसरी केयर टेकर बीना जो मूक-बधीर हैं और तीसरी केयर टेकर कविता पोलियो ग्रस्त हैं जो पूर्ण रूप से चलने में असमर्थ हैं।

भले ही विभाग में तीनों महिलाओं की नियुक्ति महिलाओं को सशक्त करने के लिए दी गई हो लेकिन जहां तक बच्चों की देखरेख की बात है तो उसके लिए विभाग को सक्षम लोगों को और ऐसे लोगों को रखना चाहिए जो आपसी भाईचारा व दोस्ताना न निभाएं। अन्यथा हो सकता है कि भविष्य में इस प्रकार की व इससे भी बड़ी घटनाएं हमारे सामने हों।

You May Also Like

Leave a Reply