PART ONE: केदारनाथ हैली सर्विस में बड़ा झोल! जानने के लिए पढ़ें

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देहरादून: 28 अप्रैल से चार धाम यात्रा शुरू होने जा रही है। जिसकी तैयारियां जारी है। केदारनाथ हेली सर्विस के लिए टेंडर की अंतिम तिथि 10 फरवरी थी। हमेशा की तरह केदारनाथ हैलिसर्विस अनियमिताओं के चलते इस साल भी टेंडर खुलने से पहले ही विवादों के घिर गई है। इस साल भी सिर्फ 9 ही हैली कम्पनियाँ केदारघाटी में उड़ान भर सकेंगी। यही नही बल्कि टेंडर के नियमों के चलते आगामी तीन साल तक ये ही 9 कम्पनियां केदारघाटी में उड़ान भरती रहेंगी।

आपको बता दें कि पिछले साल युकडा ने केदारनाथ हैलिसर्विस के लिए एक ईएसआई कम्पनी को अनुमति दी गई जिसके एनएसओपी (परमिट) पर केवल BELL 412 पृष्ठांकित किया गया था। जबकि उस कंपनी ने केदारनाथ हैलिसर्विस के लिए BELL 407 उड़ाया था जो कि किसी और कंपनी पर एनएसओपी (परमिट) पर पृष्ठांकित था, जबकि टेंडर की शर्तों और DGCA के नियमों के अनुसार केदारघाटी में वही हैल्ली कंपनी उड़ान भर सकती है जिसके एनएसओपी (परमिट) पर वही हैलीकॉप्टर पृष्ठांकित होना चाहिए जो हैलीकॉप्टर केदारनाथ में उड़ान भरता है, तो फिर सवाल ये उठता है कि युकाडा और DGCA ने किन नियमों के अनुसार इस कंपनी को टेंडर आवंटित किया गया। जबकि DGCA एयर सेफ्टी सर्कुलर में साफ-साफ़ लिखा है कि ऑपरेटर वही हेलीकॉप्टर का उपयोग कर सकता है जो उसके एयर ऑपरेटर्स सर्टिफिकेट पर पृष्ठांकित किया गया हो।

पायलेट्स की भारी कमी –

गौरतलब है कि हैली कंपनियों के पास पायलेट्स की भारी कमी है, जिसके चलते केदारघाटी में उड़ान भरने के लिए इन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आपको बता दें कि पिछले और इस साल में युकाडा की ओर से जो टेंडर आवंटित किये गए हैं उनमें स्पष्ट है कि केदारनाथ हैली सर्विस के लिए जो भी कंपनी टेंडर में भाग लेगी उनके पास प्रयाप्त संख्या में पायलेट्स होने चाहिए, साथ ही उस कंपनी के साथ वो पायलेट 6 महीने से जुड़ें हों। आपको बता दें कि युकाडा एक कंपनी को प्रतिदिन 8 घंटे हैलीकॉप्टर उड़ान भरने की अनुमति देती है। यानि कि एक महीने में कुल 240 घंटे।

100 घंटे से ज्यादा नही भर सकते उड़ान –

DGCA के नियमों के अनुसार एक पायलेट एक महीने में 100 घंटे से ज्यादा उड़ान नही भर सकता है, यानि एक कंपनी के पास 1 महीने में 240 घंटे उड़ान भरने के लिए कम से कम तीन पायलेट्स की आवश्कता है। लेकिन पिछले साल कुछ ऐसी कंपनियां भी थी जिनके पास सिर्फ दो पायलेट्स थे उनको भी युकाडा ने टेंडर के नियमों के विपरीत जाकर टेंडर आवंटित किया, और खास बात ये कि सूत्रों के मुताबिक इस साल फिर से कुछ इसी तरह की कंपनियों ने टेंडर भरा है, अब देखाना ये होगा कि युकाडा इस साल भी टेंडर के नियमों के विरुद्ध जाकर टेंडर आवंटित करती है या नही।

नियमों के विरुद्ध दिया टेंडर –

आपको बता दें कि युकाडा के पिछले साल के टेंडर में एक बिंदु एसा था जिसमें साफ़ तौर पर लिखा था कि किसी ऑपरेटर के साथ पिछले दो साल से किसी तरह की कोई कोई घटना न घटी हो लेकिन बावजूद उसके युकाडा ने एक ऐसी कंपनी को टेंडर दिया जिसका बदरीनाथ में 6 जून 2017 को हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ था, और DGCA की जाँच रिपोर्ट में साफ़ शब्दों में लिखा था कि (हैलीकॉप्टर को उचित रूप से नियंत्रित नहीं किया गया था) इसके बावजूद भी इस कंपनी को पिछले साल उड़ान भरने की अनुमति दी गई। अब आप खुद ही अंदाज़ा लगा सकतें हैं कि युकाडा की नज़रों में क्या चल रहा है!

हैलो उत्तराखंड न्यूज़ हर समय जनहित के मुद्दों को उजागर करता रहा है। और यर मूदा भी  सीधे-सीधे यत्रियों की सुरक्षा से जुड़े हैं, हर साल प्रदेश में हवाई दुर्घटनायें लगातार बढ़ रही हैं। जो कि बेहद गंभीर विषय है और सरकार को इस तरह के  मामलों को गंभीरता पूर्वक लेना चाहिए।

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