एनएच घोटाले के आरोपी मामले में न्यायमूर्ति ने सुनवाई से किया इंकार

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नैनीताल: हाईकोर्ट ने एनएच घोटाले के आरोपी निलंबित आईएएस अधिकारी पंकज पांडे की गिरफतारी पर रोक लगाने को लेकर दायर अग्रीम जमानत याचिका पर सुनवाई से इंकार करते हुए इस मामले को कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश राजीव शर्मा को रेफर कर दिया था। क्योंकि वे अधिवक्ता रहते हुए एनएच घोटाले मामले में पैवरी कर चुके है। जिसके बाद दिल्ली सुप्रीम कोर्ट से याचिकाकर्ता की पैरवी को आई सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रूचिरा गुप्ता ने हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश के समक्ष सवा एक बजे मेंशन कर बताया कि यह मामला अति आवश्यक है, न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा ने मामले को सुनने से इंकार कर दिया है इसलिए इस प्रकरण की सुनवाई के लिए कोई अन्य बेंच बनाई जाने की प्रार्थना की। कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश ने न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी को इस मामले की सुनवाई के लिए भेजा है। अब इस प्रकरण की सुनवाई 28 सितंबर को दो बजे न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ के समक्ष होगी।
न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार डा. पंकज पांडे उधमसिंह नगर के राष्ट्रीय राजमार्ग घोटाले में निलंबित चल रहे हैं। उन पर आरोप है कि उधमसिंह नगर जनपद में बतौर जिलाधिकारी रहते हुए उनके कार्यकाल में दस्तावेजों में हेराफेरी कर राजमार्ग के लिये अधिग्रहीत भूमि का भू-उपयोग बदला गया है। लगभग 211 करोड़ के इस घोटाले की जांच शासन ने विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंपी है। एसआईटी अभी तक 23 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। सभी आरोपी जेल में बंद हैं। इनमें पांच निलंबित पीसीएस अधिकारी शामिल हैं। इनके अलावा राजस्व विभाग के अधिकारी, कर्मचारी व कुछ काश्तकार भी शामिल हैं। एसआईटी ने इस मामले में दो आईएएस अधिकारियों डा. पंकज पांडे व चंद्रेश यादव की भूमिका भी इसमें संदिग्ध मानी है। एसआईटी ने इन दोनों अधिकारियों की भूमिका के बारे में शासन को अवगत कराया। सरकार ने इन दोनों अधिकारियों को पिछले दिनों निलंबित कर दिया था। साथ ही एसआईटी इनसे पूछताछ भी कर चुकी है। शासन की हरी झंडी मिलते ही इन दोनों अधिकारियों पर गिरफ्तारी की गाज गिरने की आशंका लगायी जा रही है। गिरफ्तारी से बचने के लिये डा. पंकज पांडे ने हाईकोर्ट में अग्रीम जमानत याचिका दायर की है। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने इस प्रकरण पर सुनवाई से इंकार करते हुए इसे मामले को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को भेज दिया।

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