नमामि गंगे परियोजना के तहत उत्तराखंड में 21 में से 10 प्रोजेक्ट पूरे

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देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में प्रतिभाग करते हुए नमामि गंगे परियोजना में गंगा की सहायक नदियों पर स्थित प्रमुख नगरों में भी सीवेज प्रबंधन की योजनाओं की स्वीकृति देने  और ठोस अपशिष्ठ निस्तारण की व्यवस्था करने का सुझाव दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री से आने वाले कुम्भ में स्थाई और अस्थाई प्रकृति के कार्यों के लिए सहायता का भी अनुरोध किया।

वहीँ शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कानपुर में आयोजित राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक आयोजित की गई। इसमें केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी सहित परिषद के अन्य सदस्य उपस्थित रहे

त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड में नमामि गंगे के अंतर्गत किए गए कार्यों के लिए प्रधानमंत्री और भारत सरकार का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नमामि गंगे के तहत उत्तराखण्ड में प्राथमिकता के चिन्हित 15 नगरों के लिए स्वीकृत 19 योजनाओं में से 10 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं, और 05 योजनाएं दिसम्बर 2019 तक, 02 योजनाएं फरवरी 2020 तक, 01 योजना जून 2020 तक व 01 योजना नवम्बर 2020 तक पूर्ण कर ली जाएंगी। इन नगरों में चिन्हित किए गए 135 नालों में से 70 नालें एनजीबीआरए में स्वीकृत योजनाओं में टैप किए जा चुके हैं। शेष 65 नालों में से 43 नालों को नमामि गंगे में स्वीकृत योजनाओं में टैप कर लिया गया है। शेष 22 नालों को भी जल्द ही टैप कर लिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने बताया कि हरिद्वार नगर के जगजीतपुर एसटीपी से निकल रहे 45 एमएलडी परिशोधित जल का पूरा उपयोग कृषि सिंचाई के लिए किया जा रहा है। हरिद्वार, ऋषिकेश और मुनि की रेती में समस्त उपचारित जल का उपयोग कृषि सिंचाई के लिए किया जाएगा। एसटीपी से निकलने वाले स्लज को भी कृषि कार्यों में खाद के रूप में निशुल्क वितरित किया जा रहा है।

निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए वेस्ट टू एनर्जी नीति

मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा नदी के तट पर 15 प्राथमिकता के नगरों के सभी 196 वार्डों में डोर-टू-डोर कूड़ा उठाया जा रहा है। इसमें से 83 वार्डों में सोर्स सेगरीगेशन भी प्रारम्भ हो चुका है। प्रदेश में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया है। प्लास्टिक अपशिष्ठ के निस्तारण के लिए 10 नगरों में प्लास्टिक कम्पैक्टर लगाए गए हैं। 04 अन्य नगरों में भी कम्पैक्टर लगाए जाने की प्रक्रिया गतिमान है। निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए वेस्ट टू एनर्जी नीति बनाई गई है। गंगा नदी के तटवर्ती 22 ग्रामों को चिन्हित कर वहां जैविक कृषि को क्लस्टर एप्रोच के माध्यम से प्रोत्साहित करने की कार्ययोजना बनाई गई है। प्रथम चरण में जनपद चमोली, उत्तरकाशी, पौड़ी, रूद्रप्रयाग और टिहरी के कुल 42 ग्रामों में जैविक खेती का कार्य प्रारम्भ हो चुका है।

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