मुकेश बिष्ट अपने हौसलों के बूते पेश कर रहे मिशाल

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रुद्रप्रयाग: कहते हैं हौसले मजबूत हों और इरादा पक्का हो तो कोई भी कार्य असम्भव नहीं है। ऐसे ही असम्भव कार्य को सम्भव कर दिखाया है जयमण्डी गांव निवासी मुकेश बिष्ट ने। पैरों से विकलांग होने के बावजूद भी मुकेश खुद की वर्क शाॅप चलाता है और अपने साथ तीन अन्य लोगों को भी रोजगार देता है। हाथ में वाहनों को ठीक करने के औजार आते ही मुकेश की विकलांगता कहीं भी नहीं दिखती। वहीं वाहनों को ठीक करते हुए उन्हें चलाने का भी शौक मुकेश हो हुआ, तो तैयार कर दी अपने लिए स्कूटी। अब पुरानी कार को अपने अनुसार मोडीफाई कर मुकेश अपने इस शौक को भी पूरा करना चाह रहे हैं।
रेंग-रेंग कर चलने वाला यह व्यक्ति मुकेश बिष्ट है। बचपन में ही पोलियो से ग्रसित होने के कारण पैरों की विकलांगता आ गयी और एक पैर पूरी तरह से खराब हो गया तो दूसरा पैर महज 30 फीसदी ही कार्य कर पाता है। विकलांगता परिवार पर बोझ न बने यह सोचते हुए मुकेश ने अपने चाचा की वर्कशाॅप में आना जाना शुरु किया और कुछ ही दिनों में मोटर वर्कशाॅप का पूरा काम सीख लिया। हाथों में औजार आने के बाद मन में इच्छा हुई कि मैं भी वर्कशाॅप का मालिक बनूं तभी चााचा की मृत्यु हो गयी और चााचा के परिवार की जिम्मेदारी भी मुकेश के पास आ गयी। व्यवहार कुशल होने के कारण कारण मुकेश की दुकान फिर से चल पडी और आज मुकेश के पास स्वयं के साथ ही तीन अन्य कर्मचारी भी रोजगार पा रहे हैं।रोजगार मिल जाने के बाद मुकेश ने स्वयं ही अपनी शादी की और आज वह दो बच्चों के पिता भी हैं। पैत्रिक घर सडक मार्ग से काफी दूर होने के कारण मुकेश ने शहर में ही अपना घर भी तैयार किया और और घर आने जाने के लिए अपने लिए स्कूटी तैयार की। वाहनों को ठीक करते हुए मुकेश को लगा कि मुझे भी वाहन चलाना चाहिए मगर ऐसा कोई वाहन नहीं था जिसे मुकेश चला सके। हाल ही में मुकेश ने एक पुरानी कार खरीदी और उसे अपने अनुसार तैयार करने लगा। अभी कार पर कार्य जारी है मगर प्रथम चरण में कार चलाने लायक बन चुकी है।

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