LIVE: बड़ी खबर- कश्मीर से हटेगी धारा 370, कश्मीर के होंगे दो भाग

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नई दिल्ली: राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का संकल्प पेश किया है। इसके साथ ही अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का संकल्प भी पेश किया है। अमित शाह के ऐलान के बाद विपक्ष ने सदन में काफी हंगामा किया।

जम्मू-कश्मीर को लेकर मोदी सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठा दिया है। जम्मू-कश्मीर अब एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया है। साथ ही घाटी को धारा 370 के जरिए जो विशेषाधिकार मिले हुए थे, वह भी खत्म हो गए हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार ने लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया है, यानी लद्दाख अब एक अलग राज्य होगा। बहुजन समाज पार्टी ने धारा 370 पर मोदी सरकार के संकल्प का राज्यसभा में समर्थन किया।

इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का प्रस्ताव पेश किया। इसके साथ ही उन्होंने राज्य का पुनर्गठन का प्रस्ताव रखा, जिसे राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी।

सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर कैबिनेट की बैठक हुई। कश्मीर में जारी हलचल के बीच हर किसी की नजर इस कैबिनेट बैठक पर रही।

वहीँ कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबल जाने के बाद से ही सियासी सरगर्मी बढ़ने लगी थी, लेकिन रविवार रात को हलचल काफी तेज हुई। पहले श्रीनगर में धारा 144 लागू की गई, उसके बाद मोबाइल सेवा, इंटरनेट सेवा, लैंडलाइन सर्विस भी बंद कर दी गई। दूसरी ओर जम्मू में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई, जम्मू रीज़न में CRPF की 40 कंपनियों को तैनात किया गया। जम्मू और कश्मीर के सभी स्कूल-कॉलेज को बंद कर दिया गया और यूनिवर्सिटी में होने वाली परीक्षा भी रद्द कर दी गई।

कश्मीर में अभूतपूर्व सुरक्षा और हलचल के बीच मुख्यधारा के कई बड़े नेताओं को नजरबंद कर दिया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को भी आधी रात उनके घर में नजरबंद किया गया है। पीपल्स कॉन्फ्रेंस नेता सज्जाद लोन को लेकर भी यही सूचना है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है।

गृहमंत्री अमित शाह ने सदन को बताया कि, अनुच्छेद 370 के खंड तीन में राष्ट्रपति को एक अधिसूचना के द्वारा अनुच्छेद 370 को खत्म करने का अधिकार देने का प्रावधान है। इस प्रावधान के साथ ही संविधान में एक शर्त यह जोड़ी गयी है कि अनुच्छेद 370 में बदलाव से पहले राज्य की विधानसभा से सहमति लेनी होगी। जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के कारण इस बाध्यता का पालन अनिवार्य नहीं रह जाता है। आज सुबह राष्ट्रपति ने एक अधिसूचना जारी कर संवैधानिक आदेश पारित किया है। इसमें कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा वजूद में नहीं होने के कारण राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य विधानसभा के समस्त अधिकार संसद के दोनों सदनों में निहित हैं। इसलिए राष्ट्रपति के आदेश को दोनों सदनों के साधारण बहुमत के द्वारा संसद से पारित कर सकते हैं। शाह ने स्पष्ट किया कि सरकार की ओर से पहली बार इस तरह की पहल नहीं की गयी है। इसके पहले कांग्रेस की सरकार 1952 और 1962 में इस प्रक्रिया का पालन करते हुए अनुच्छेद 370 में संशोधन कर चुकी है। मौजूदा सरकार ने भी इसी प्रक्रिया का पालन किया है।

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