जीवन निर्वाह के लिए मिलने वाली आर्थिक सहायता बंद होने से सेवानिवृत्त बैंककर्मियों में रोष

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-कृष्णपाल रावत

टिहरी: जिला सहकारी बैंक टिहरी के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अप्रैल 2018 से बैंक से मिल रही आर्थिक सहायता नहीं मिली है। आर्थिक सहायता न मिलने से बैंक के सेवानिवृत्त कर्मचारी भुखमरी के कगार पर हैं। कर्मचारियों को तमाम आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारी कल्याण कोष से जीवन निर्वाह को मिलने वाली आर्थिक सहायता बंद होने से सेवानिवृत्त बैंककर्मियों में भारी रोष है। बता दें कि जिला सहकारी बैंक टिहरी के सेवानिवृत्त कर्मियों ने बैंक में अपने कार्यकाल के दौरान अथाह परिश्रम की बदौलत इस बैंक को सी श्रेणी से ए श्रेणी में पहुंचाया। सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों को जीवन निर्वाह के लिए कर्मचारी कल्याण कोष से आर्थिक सहायता प्रदान किए जाने संबंधी प्रस्ताव बैंक प्रबंध समिति की बैठक में 17 जुलाई 2015 को पारित किया गया था। इस प्रस्ताव के माध्यम से 1 जनवरी 2016 से कर्मचारी कल्याण कोष के माध्यम से सेवानिवृत्त कर्मियों को आर्थिक सहायता प्रदान किए जाने को स्वीकृति प्रदान की गई थी। तब से बैंक के कर्मचारी कल्याण कोष से जीवन निर्वाह के लिए सेवानिवृत्त कर्मियों को हर माह कुछ आर्थिक सहायता मिलती थी, जो कि अप्रैल 2018 से बंद हो गई है।

आर्थिक सहायता बंद होने से रिटायर्ड बैंककर्मियों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। रिटायर्ड बैंककर्मियों का कहना है कि प्रदेश के सहकारिता मंत्री संवेदनहीनता का परिचय देते हुए उनका मजाक उड़ा रहे हैं। उनका कहना है कि क्या यही इन सेवानिवृत्त कर्मियों को सहकारिता विभाग की ओर से अच्छे दिनों का तोहफा है। जिला सहकारी बैंक टिहरी के सेवानिवृत्त कर्मी डीपी उनियाल ने निबंधक सहकारी समिति उत्तराखंड देहरादून से मांग की है कि वह सेवानिवृत्त कर्मियों को मिलने वाली आर्थिक सहायता पर रोक लगाने संबंधी अपने आदेश को वापस लेकर जिला सहकारी बैंक टिहरी गढ़वाल की मार्च 2018 से पूर्व की स्थिति को बहाल करें।

वहीं मामले में रजिस्ट्रार बी.एम. मिश्रा ने हैलो उत्तराखण्ड न्यूज को जानकारी देते हुए बताया कि  सभी सेवानिवृत्त कर्मियों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए एक प्रस्ताव लाया गया था जिसमें सेवानिवृत्त कर्मियों को आर्थिक सहायता प्रदान किये जाने की बात थी। सहकारिता कर्मचारियों को एक्ट के अनुसार सीपीएफ और पेंशन में से केवल एक ही का लाभ मिल सकता है। हालांकि कर्मचारियों के हित में शासन को उक्त प्रस्ताव भेजा गया है।

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