क्या डीएम लगे हैं टिट-फॉर-टैट नीति अपनाने पर!

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देहरादूनः भले ही भाजपा सरकार बिना दबाव में काम करने और भाईचारे के साथ काम करने के लाख दावे कर ले। लेकिन स्तिथियाँ कुछ और ही बयां कर रही है।

इसका ताजा उदाहरण हमें हरिद्वार में देखने को मिला है, जहां पर हाल ही में मातृसदन के स्वामी आत्मबोधानंद ने डीएम हरिद्वार दीपक रावत के सम्मान को अपमान में बदला और अपना विरोध भरी सभा में कागज फाड़ कर किया। ब्रह्मचारी ने मीडिया में साफ तौर पर कहा कि डीएम ने स्वंय उन्हें इस कृत्य के लिए पहले तो खूब मारा और फिर जेल पहुंचाया। वहीं अब शिकायतों के नाम पर एक बार फिर मातृसदन ब्रह्मचारियों को सताने का काम डीएम द्वारा किया जा रहा है। उनका कहना है कि बेवजह हमें परेशान करने का काम किया जा रहा है।

वहीं जब हैलो उत्तराखंड न्यूज ने इस बाबत जानकारी जाननी चाही तो डीएम ने कहा कि हमारे पास सदन के खिलाफ कई बार शिकायतें आई हैं, जिसमें नदी पर कब्जा व पंचायती रास्ते पर कब्जा करना शामिल है। और उसी आधार पर हमने राजस्व विभाग को पैमाइश के लिए भेजा। 

लेकिन सूत्रों के अनुसार डीएम के खिलाफ आवाज उठाने के बाद से ही डीएम मातृसदन और स्वामी आत्मबोधानंद के खिलाफ टिट फॉर टैट की नीति अपना रहे हैं। हालांकि डीएम दीपक रावत ने इस बात से साफ इंकार किया है और कहा कि वो केवल शिकायतों के आधार पर ही आगे की कार्यवाही कर रहे हैं।

बता दें कि मातृसदन में पहली बार कोई राजस्व की टीम नहीं गई है, बल्कि मातृसदन में शिकायत और कबजे के मामले में 2000 में भी मामला कोर्ट में जा पहुंचा था, लेकिन तत्काल गठित की गई समिति की रिर्पोट में यह साफ लिखा गया था कि मातृसदन ने कोई भी कब्जा नहीं किया है। तब से लेकर आज तक मातृसदन के ब्रह्मचारियों का कहना है कि सदन द्वारा कोई भी असंवैधानिक कार्य नहीं किया जाता है।

लेकिन जिस प्रकार इस वाक्य के तुरंत बाद राजस्व की टीम को मातृसदन आश्रम भेजा जाता है उससे डीएम द्वारा की गई कार्यवाही पर सवाल उठना लाजमी है। जानकारों के अनुसार बीजेपी सरकार भी टिट-फॉर-टैट की ही नीति अपनाती नजर आ रही है। क्योंकि बेवजह आश्रम की भूमि का माप आखिर क्यों? क्यूंकि डीएम का स्वयं कहना है कि उनके पास आश्रम के खिलाफ पहले कई शिकायतें आई हैं, तो फिर उसी दौरान कार्यवाही आश्रम पर क्यूँ नहीं की गई? अब क्यूँ?

-यदि शिकायतों पर कार्यवाही करने ही थी तो फिर स्वामी  के विरोध करने के बाद ही क्यूँ कार्यवाही की गई?

-यदि डीएम साहब ने कार्यवाही, आई शिकायतों के आधार पर ही की गई है तो फिर जाने-माने बाबाओं के आश्रम पर व् अन्य उन आश्रमों पर कोई कार्यवाही क्यूँ नहीं की जा रही है जिनके खिलाफ कई बार जनता आन्दोलन भी कर चुकी है और भूमि जांच की मांग भी ?

कहीं ऐसा तो नहीं कि डीएम अपने खिलाफ आवज उठाने वाले को दबा देना चाहते हों?

जब हैलो उत्तराखंड न्यूज़ ने बीजेपी प्रवक्ता विनय गोयल से जानना चाहा कि कहीं बीजेपी भी कांग्रेस की ही तरफ टिट-फॉर-टैट की रणनीति तो नहीं अपना रही है? तो जानिए क्या मिला जवाब?….

 

To Be Continude…

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