इलाहबाद नहीं जनाब अब….प्रयागराज कहिए

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इलाहबाद: संगम नगरी इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज हो जाएगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने का प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा था, जिस पर राज्यपाल राम नाईक ने भी अपनी सहमति दे दी है। राज्यपाल की अध्यक्षता में मार्गदर्शक मंडल की पहली बैठक में सीएम ने इस बात का एलान किया कि इलाहबाद अब प्रयाग राज के नाम से जाना जाएगा। बैठक में प्रदेश के चीफ जस्टिस डीबी भोंसले के साथ ही अखाड़ा परिषद के साथ अन्य धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं से जुड़े संत लोग शामिल हुए। वहीं, भाजपाइयों का कहना है कि यह मांग वर्षों से की जा रही थी, जो अब भाजपा सरकार ने पूरी की है।

सीएम योगी ने कहा कि हिमालय से निकलने वाली देवतुल्य दो नदियों का संगम इलाहाबाद में होता है और यह तीर्थों का राजा है। ऐसे में इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया जाना सही होगा। उन्होंने कहा कि नाम बदलने के लिए संतों ने मांग की थी, जिस पर राज्यपाल सहमति जता रहे हैं। कुंभ मेले की तैयारियों पर जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि कुंभ के दौरान लोग पहली बार किले के अंदर मौजूद अक्षय वट और सरस्वती के दर्शन भी कर पाएंगे। उन्होंने बताया कि 48 दिन तक चलने वाले इस आयोजन से जुड़ी 445 परियोजनाओं में से 92 पूर्ण कर ली गई हैं। वहीं, 88 परियोजनाएं 15 अक्टूबर तक पूरी होंगी जबकि 250 परियोजनाओं को 31 अक्टूबर तक पूरा कर लिया जाएगा।

योगी ने आगे कहा, मुझे लगता है कि राज्यपाल महोदय ने भी इस पर अपनी सहमति दी है। जब हम प्रयाग की बात करते हैं तो जहां दो नदियों का संगम होता है, वह अपने आप में एक प्रयाग हो जाता है। आपको उत्तराखंड में विष्णु प्रयाग, देव प्रयाग, रुद्र प्रयाग, देव प्रयाग, कर्ण प्रयाग देखने को मिलेंगे।श् बता दें कि इस बैठक में कुंभ के मद्देनजर हो रहे स्थायी और अस्थायी निर्माण कार्यों पर विस्तार से चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस भव्य और दिव्य कुंभ को पूरी दुनिया देखेगी।

मुगल शासक अकबर ने किया था नामकरण ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार 16वीं सदी के पूर्व इलाहाबाद को प्रयाग व प्रयागराज के नाम से ही जाना जाता था। लेकिन 1526 में यह पौराणिक भूमि मुगलों के अधीन हो गई । तब मुगल शासक अकबर ने इस ऐतिहासिक नगरी का नाम बदलकर अल्लाहाबाद कर दिया। अंग्रेजी में आज भी इसे अल्लाहाबाद ही कहा जाता है, लेकिन बोलचाल की भाषा में इसे इलाहाबाद कहा जाने लगा और यही नाम अब सरकारी अभिलेखों में दर्ज है।

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