हाईकोर्ट की सरकार पर टिप्पणी- शराबबंदी के बजाय शराब की दुकानों को बढ़ाते ही जा रहे, बनाएं निति

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नैनीताल: उत्तराखंड में हाईकोर्ट ने शराबबंदी को लेकर सरकार को जल्द ही नीति तैयार करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए सरकार को चरणबद्ध तरीके से कदम उठाने के साथ ही छह महीने में नीति तैयार करने का समय दिया है। इसके आलावा 2019 में प्रदेश में बनी आबकारी नीति के अनुसार 21 साल से कम आयु वाले व्यक्ति को शराब बेचने पर प्रतिबंध को कड़ाई से पालन करने के भी निर्देश दिए हैं।

हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि, अधिनियम में शराबबंदी को प्रोत्साहित करने का प्रावधान है लेकिन सरकार लगातार शराब की दुकानों को बढ़ाते ही जा रही है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की संयुक्त खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।

मामले के अनुसार, बागेश्वर जिले के गरुड़ निवासी अधिवक्ता डीके जोशी ने इस मामले में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया कि प्रदेश में सरकारी संरक्षण में बेची जा रही शराब से जनजीवन प्रभावित हो रहा है। कई घर उजड़ गए हैं। इससे होने वाली बीमारी और दुर्घटना से हताहत होने वालों के लिए कोई मुआवजे की व्यवस्था भी नहीं की गई है। वहीं साल दर साल राज्य सरकार राजस्व के नाम पर दुकानों की संख्या में लगातार वृद्धि दर्ज कर रही है। 2019 की आबकारी नीति में डीएम के लिए विशेष निर्देश हैं कि जिले का कोई भी क्षेत्र शराब की दुकान से वंचित नहीं रहे। 21 साल से कम के व्यक्ति को शराब नहीं बेचने के प्रावधान की भी उपेक्षा की जा रही है। याचिका में पहाड़ी प्रदेश में बर्बादी का कारण बताते हुए यहां शराब पर प्रतिबंध लगाने के आदेश पारित करने की मांग की गई थी।

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