कर्मचारियों के भत्तों के भुगतान में कटौती का सरकारी फरमान दुर्भाग्यपूर्ण- प्रीतम सिंह

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देहरादून: उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष प्रीतम सिंह, प्रतिपक्ष की नेता इंदिरा हिरदेश, कांग्रेस विधायक दल के उपनेता करण महरा ने केंद्र व राज्य सरकार के उस फरमान को “दुर्भाग्यपूर्ण” ठहराया है जिसमें उन्होंने देशभर के कर्मचारियों व पेन्शनरो के महंगाई भत्ते, महंगाई राहत और सभी पुरानी और नई भविष्य व बकाया की किश्तें 1 जनवरी 2020 से 30 जून, 2021 तक मे कटोती का एलान किया है।
कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने सरकार के इस एलान को “तुगलकी फरमान” बताते हुए कहा है कि कोरोना के इस संकट के दौर में सरकार का यह फैसला करोडों कर्मचारियों के मनोबल व हौसले को तोडने का काम करेगा।” कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह, इन्दिरा ह्रिदयेश और करन महरा की ओर से उक्त बयान को जारी करते हुए प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष रणजीत रावत, धीरेन्द्र प्रताप और महामंत्री संगठन विजय सारस्वत ने कहा हे कि “इस अन्याय पूर्ण कटौती से देश के लगभग 113 लाख सैनिकों, कर्मचारियों व पेंशनरों की तनख्वाह से सालाना 37530 करोड रुपए की कटौती की जाएगी। इन 113 लाख कर्मचारियों में 49.26 लाख सेवारत कर्मचारी व 61.17 लाख पेंशनर शामिल हैं।”

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उन्होंने यह भी कहा कि “सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि मोदी सरकार द्वारा महंगाई भत्ते की कटौती का जख्म देने की इस कवायद ने देश की रक्षा करने वाले तीनों सेनाओं के हमारे सैनिकों तक को नहीं बख्शा। इस कटौती से 15 लाख सैनिकों और लगभग 2600000 मिलिट्री पेंशनरों से पेंशनरों से 11 हजार करोड़ रुपया काट लिया जाएगा। कर्मचारियों व मध्यम वर्ग पर सरकार ने पिछले 40 दिनों मे यह पहली चोट नहीं पहुंचाई। 31 मार्च 2020 को ही सभी नेशनल सेविंग स्कीम मे 1 से 1.5 प्रतिशत ब्याज दरों की कटौती पर 30 करोड़ जमा कर्ताओं के ब्याज में उन्नीस हजार करोड़ सालाना ब्याज की आय में कमी की गई थी। यही नहीं, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा सेविंग अकाउंट में ब्याज की दरें 3.25 प्रतिशत से घटाकर 3% कर दी गई। व फिक्स डिपाजिट के ब्याज में भी 0.25 प्रतिशत से 0.5%तक काट ली गई।”

उन्होने कहना कि “स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के 44.51 करोड़ खाताधारकों में से अधिकतर जो कर्मचारी हैं और मध्यम वर्ग के लोग हैं, उन्हें सालाना 9429 करोड़ का सालाना नुकसान हुआ है। केवल सेविंग अकाउंट में 50 प्रतिशत तक काट दी गई, फिक्स डिपॉजिट की ब्याज दरों में इस कटौती से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के 4.51 करोड़ खाताधारकों में से अधिकतर जो कर्मचारी हैं और मध्यम वर्ग के लोग हैं उन्हें सालाना 9429 करोड़ का सालाना नुकसान हुआ है।”

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उन्होंने कहा कि मोदी सरकार अपने बेफिजूल और गैरजरूरी खर्चों में कोई कटौती नहीं कर रही है। सबसे पहले अगर सरकार को ज्यादा पैसे की तंगी है तो बजट क बेफिजूल व गैरजरूरी खर्चों में कटौती अनिवार्य रूप से करनी चाहिए। प्रीतम सिंह, इन्दिरा ह्रिदयेश और करण महरा ने आरोप लगाया कि बेफिजूल गैरजरूरी खर्चों में कटौती करने की बजाय मोदी सरकार ने सैनिकों, सरकारी कर्मचारियों, पेंशनरों व मध्यमवर्ग की आय पर हमला बोला है। कोरोना सकंट के बावजूद मोदी सरकार ने आज तक ना तो 20000 करोड रुपए का सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट खारिज किया, ना ही मोदी सरकार ने 110000 करोड़ का बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट खारिज किया। ना ही तनख्वाह पेंशन व सेंट्रल गवर्नमेंट स्कीम को छोड़कर सरकारी खर्चों में 30% कटौती की घोषणा की। जिससे 250000 करोड़ रूपए का सालाना अतिरिक्त बच सकता था।

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प्रीतम सिंह ने इसे मोदी सरकार की पथ भ्रमित प्राथमिकताओं का जीता जागता सबूत बताया। उन्होंने मांग की कि देश के सैनिकों, देश के मिलिट्री पेंशनरों, देश के सरकारी कर्मचारियों और देश के हमारे पेंशनरों और उनकी तनख्वाह उनका महंगाई भत्ता ना काटकर सरकार सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट और सरकारी खर्च के ढाई लाख करोड़ मे कटोरी करती तो कर्मचारीयो,पेन्शनरों व मध्यम वर्ग को ठेस पहुंचाने से बचा जा सकता था।

काग्रेस नेताओं ने सरकार के इस फैसले को पथ भ्रमित बताते हुए कहा है कि इस मूर्खतापूर्ण फैसले ने सरकारी कर्मचारियों के जख्म पर नमक लगाने का काम किया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह भारी खर्चों के बड़े फैसलों पर रोक लगाएं और कर्मचारियों और पेंशनरों के संकट के इस दौर में उनकी सहायता कर उनका हौसला बढ़ाए और भारी मंदी के दौर में कर्मचारियों की जो पहले से ही कमर टूटी पड़ी है, उस पर मरहम लगाकर उनकी सहायता कराए।

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