गढ़वाल से कुमाऊं तक थमेगी लाइफ लाइन, सरकार को नहीं आम जनता की चिंता

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देहरादून: स्पीड गवर्नर लगाने की अनिवार्यता अब आम जनता पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। दरअसल, केंद्र सरकार ने वाहनों की गति को कम करने के लिए स्पीड गवर्नर लगाना अनिवार्य कर दिया था। हालांकि मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित चल रहा है। सरकार के मनमाने और अड़ियल रुख का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा। प्रदेश की सभी टैक्सी यूनियनों ने स्पीड गवर्नर के विरोध में पांच अक्टूबर को चक्काजाम का ऐलान किया है। इससे पहले वे सभी आरटीओ, एआरटीओ कार्यालयों में अपने वाहनों के सभी दस्तावेज जमा करा देंगे।

करोड़ों का नुकसान
स्पीड गवर्नर को लेकर अब टैक्सी यूनियनों ने निर्णायक लड़ाई का एलान कर दिया है। कल से सभी टैक्सी स्वामी अपने वाहनों के दस्तावेज जमा करा देंगे। मांग नहीं माने जाने तक वह ना तो दस्तावेज अपने पास रखेंगे और ना वाहन चलाएंगे, जिसका टैक्सी चालकों को तो नुकशान झेलना ही पड़ेगा सरकार को भी एक झटके में कराड़ों के राजस्व की हानि होगी। प्रदेश में करीब ढाई से तीन लाख टैक्सी-मैक्सी और कैब संचालक हैं।

परिवहन विभाग की मनमानी
टैक्सी यूनियन के सचिव सुरेंद्र पवांर का कहना है कि परिवहन विभाग मनमानी कर रहा है। उन्होंने बताया कि कुछ दिनों पहले ही विभाग ने एक टेस्ट किया था, जिसमें स्पीड गवर्नर पूरी तरह फेल साबित हुआ था। बावजूद इसके परिवहन विभाग के अधिकारी जबरन स्पीड गवर्नर लगाने का दबाव बना रहे हैं, जिसका नुकसान वाहन स्वामियों को उठाना पड़ रहा है।

वाहनों के इंजन हो रहे खराब
उनका कहना है कि स्पीड गवर्नर तो जितनी भी कम करे, लेकिन वह वाहन स्वामियों को बड़ा नुकसान पहुंचा रहा है। दरअसल, स्पीड गर्वनर लगने से इंजन तक तेल की सप्लाई कम हो रही है, जिससे इंजन ड्राइ हो रहा है। जिन वाहनों ने स्पीड गवर्नर लगाया है। उनमें से ज्यादातर के इंजन में खराबी आ चुकी है। इंजन के खराब होने पर एक बार में ही टैक्सी स्वामी को सीधे 60 से 65 हजार का नुकसान उठाना पड़ रहा है। दूसरी बात यह है कि स्पीड गर्वनर एसी आॅन करने पर चलता ही नहीं है। साथ ही वाहन भी बंद हो जाता है। ऐसे में सवाल यह है कि अपना लाखों का नुकसान कराकर कैसे करें।

 एंबेस्डर कार की फिटनेस रोकी
देहरादून-मसूरी के बीच की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा एंबेस्डर कारें ही चलती है। पर्यटकों की पहली पसंद यही कारें होती हैं। परिवहन विभाग ने स्पीड गवर्नर नहीं लगाने के कारण फिटनेस पर ही रोक लगा दी है। जबकि एंबेस्डर कोर के लिए अब तक स्पीड गवर्नर बना ही नहीं है। इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि परिवहन विभाग किस तरह मनमानी पर उतर आया है।

मांगे नहीं मानी तो अनिश्चितकालीन हड़ताल
टैक्स यूनियनों ने एलान किया है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी जाती है, तो उनका आंदोलन अनिश्चितकाल के लिए जारी रहेगा। उनका आरोप है कि केंद्रीय परिवहन मंत्री और टिहरी सांसद के कहने के बाद भी प्रदेश सरकार बात मानने को तैयार नहीं है। मुख्यमंत्री बात ही नहीं सुनना चाहते। अधिकारी मानमानी कर रहे हैं। प्रदेश में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब सात से आठ लाख लोगों का रोजगार जुड़ा है। जबकि प्रदेश की एक तिहाई जनता की यातायात की पूरी जिम्मेदारी भी इन्हीं पर है।

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