डीएम ने नहीं माना वन मंत्री का निर्देश, करवा दी ध्वस्तीकरण की मुनादी

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कालागढ़: कालागढ़ में एनजीटी ने काॅलोनी के ध्वस्तीकरण के निर्देश दिए हैं। इसको लेकर लोगों ने सरकार से गुहार लगाई थी। वन मंत्री हरक सिंह रावत मामले को लेकर कैबिनेट बैठक में पहुंचे। कैबिनेट में तय किया गया कि मामले में सरकार के महाधिवक्ता से बात कर इस मामले में फिर से विचार किया जाएगा। इसी कैबिनेट बैठक के आधार पर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने डीएम पौड़ी को कुछ समय के लिए कार्रवाई रोनके के निर्देश दिए थे। लेकिन, पौडी डीएम ने वन मंत्री के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए कालागढ़ में 21 और 22 अक्टूबर को ध्वस्तीकरण करने की मुनादी करवा दी है।

एसडीएम कोटद्वार ने कालागढ़ में 20 अक्टूबर तक लोगों अपने आवास, मकान और दुकान खाली करने का फरमान जिलाअधिकारी के आदेश पर सुना दिया है। कालागढ़ निवासी लगातार कुछ राहत देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। वन मंत्री हरक सिंह की मानें तो उन्होंने पौड़ी डीएम को वाट्सएप के जरिए कैबिनेट के फैसले से अवगत करा दिया था। उनका कहना है कि कैबिनेट में महाधिवक्ता से राय लेने तक स्थिति यथावत रखने की बात कैबिनेट प्रस्ताव में लिखी गई है, लेकिन अगर प्रस्ताव को देखें तो उसमें केवल राय लेने और मामले को फिर से कैबिनेट में लाने की बात लिखी गई है।

कालागढ़ में एनजीटी के आदेश पर वहां बनी सिंचाई विभाग की काॅलोनी को ध्वस्त किया जा रहा है। इसको लेकर लगातार प्रशासन वहां अपनी कार्रवाई जारी रखे हुए हैं। एनजीटी सख्ती के कारण प्रशासन भी कुछ नहीं कर पा रहा है। प्रशासन के पास सरकार का आदेश मानने के अलावा  कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में प्रशासन एनजीटी के निर्देशों का ही पालन कर रहा है।

अब देखना यह होगा कि 21 और 22 अक्टूबर को कालागढ़ में कार्रवाई होती है या नहीं। वन मंत्री भले ही कह रहे हों कि उन्होंने डीएम को अवगत करा दिया है, लेकिन उनकी बातों में आत्मविश्वास की कमी साफ नजर आ रही है। इससे पहले भी कुछ दूसरे मामलों में वन मंत्री के आदेशों और उनकी राय को सरकार में कुछ खास तरजीह नहीं दी गई। इससे एक बात तो साफ है कि हरक सिंह अपनी बातों को प्रभावी ढंग से रख नहीं पा रहे हैं, या यूं कहें कि उनका प्रभाव अब कम हो गया है।

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