चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर महिला ने लगाया सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप

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नई दिल्ली: अपने ऊपर लगाए जा रहे सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोपों पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा है कि, न्यायपालिका की आजादी बेहद खतरे में हैं। ये आरोप न्यायपालिका को अस्थिर करने की ‘बड़ी साजिश’ का हिस्सा हैं। जस्टिस गोगोई का यह बयान सुप्रीम कोर्ट की एक महिला कर्मचारी की ओर से उन पर लगाए गए सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोपों के बाद आया है। उन्होंने कहा कि आरोप लगाने वाली महिला के पीछे कोई बड़ी ताकत है।

35 साल की इस महिला कर्मचारी ने 19 अप्रैल को लगाए आरोप में कहा है कि चीफ जस्टिस ने पहले उसका सेक्सुअल हैरेसमेंट किया। फिर उसे नौकरी से बर्खास्त करवा दिया। 22 जजों को भेजे गए शपथपत्र में महिला ने कहा है कि रंजन गोगोई ने पिछले साल 10 और 11 अक्टूबर को अपने घर पर उसके साथ यौन दुर्व्यवहार किया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मामले में सीनियर एडवोकेट और ह्यूमन राइट्स वकील वृंदा ग्रोवरने बताया कि, महिला के पूरे परिवार को प्रताड़ित और परेशान किया गया है। इस परिवार को शिकार बनाया गया। इसके बाद महिला के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कराए गए। महिला को लगातार परेशान किया गया ताकि उसे न सिर्फ चुप कराया जा सके बल्कि उसे आवाज उठाने की सजा भी मिले। अपने दस्तावेजों में इस महिला ने अपने साथ हुई बदसलूकी का ब्योरा दिया है।

न्यूज साइट स्क्रॉल की खबर के सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेट्री जनरल के दफ्तर की ओर से महिला के इस आरोप का खंडन किया है। सेक्रेट्री जनरल के दफ्तर ने महिला का आरोप पूरी तरह झूठा और अपमानजनक करार दिया है।

इस मामले में सुनवाई के लिए एक स्पेशल बेंच खास सुनवाई कर रही है। रंजन गोगोई भी इसका हिस्सा हैं। इस बीच, उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि हर कर्मचारियों के साथ अच्छा व्यवहार हुआ है। इसमें कोई शक नहीं है। यह कर्मचारी वहां डेढ़ महीने से तैनात थी और मुझे नहीं लगता है कि उसके आरोपों का जवाब दिया जाए।

जानकारी के मुताबिक, महिला ने कोर्ट में जो हलफनामा दाखिल किया है, इसमें कहा गया है कि जब चीफ जस्टिस की यौन प्रताड़ना की कोशिश का उसने विरोध किया तो उन्होंने उसे अपने रेजिडेंस ऑफिस से हटा दिया। इस ऑफिस में वह अगस्त 2018 से ही काम कर रही थी।

वहां से हटाए जाने के दो महीने बाद उसे दिसंबर महीने में बर्खास्त कर दिया गया। उसे हटाने की तीन वजहों में एक ये थी उसने बगैर पूर्व अनुमति के कैजुअल लीव ले ली थी। इसके बाद उसके पूरे परिवार को शिकार बनाया गया। दिल्ली पुलिस में काम कर रहे उसके पति और देवर दोनों को 28 दिसंबर 2018 को सस्पेंड कर दिया गया।

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