CCS बैठक में भारत ने पाकिस्तान से छिना MFN का दर्जा

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नई दिल्ली: भारत ने पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्जा वापस ले लिया है। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने इसकी जानकारी कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी पर हुई बैठक के बाद दी। जेटली के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में भारत प्रशासित कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले के बाद के हालात पर चर्चा हुई। जेटली ने कहा कि चरमपंथी संगठन और उनके मददगारों को किसी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा। इस फैसले से किसी हद तक पाकिस्तान आर्थिक रूप से कमजोर हो जाएगा। साथ ही पाकिस्तान में महंगाई भी बढ़ जाएगा। जिसका सीधा प्रभाव पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर पड़ेगा। ऐसे में पहले से लड़खड़ा रहा पाकिस्तान और कमजोर हो जाएगा।

एमएफएन दर्जा मिलने वाले देश को व्यापार संबंधी सुविधाएं मिल जातीं हैं। व्यापार संबंधी फायदों का मतलब कम कीमतें और आयात को बढ़ावा देने वाले कदम होता है। विश्व व्यापार संगठन यानी डब्लूटीओ के सदस्य देश आपस में एक दूसरे को एमएफएन का दर्जा दे सकते हैं। इसके तहत अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का पालन करना होता है और आम धारणा ये है कि आर्थिक रूप से थोड़े कमजोर देशों की अर्थव्यवस्थाओं को इससे लाभ पहुंच सकता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुक्त व्यापार क्षेत्र, आबकारी संघ और साझा बाजारों को एमएफएन प्रावधानों से छूट दी गई है।

डब्ल्यूटीओ बनने के साल भर बाद भारत ने पाकिस्तान को 1996 में एमएफएन का दर्जा दिया था लेकिन, पाकिस्तान की ओर से भारत को ऐसा कोई दर्जा नहीं दिया गया था। एमएफएन का दर्जा मिल जाने पर दर्जा प्राप्त देश को इस बात का आश्वासन रहता है कि उसे कारोबार में नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। इसके तहत आयात-निर्यात में विशेष छूट मिलती है। यह दर्जा प्राप्त देश कारोबार सबसे कम आयात शुल्क पर होता है। सीमेंट, चीनी, ऑर्गेनिक केमिकल, रुई, सब्जियों और कुछ चुनिंदा फलों के अलावा मिनरल ऑयल, ड्राई फ्रूट्स, स्टील जैसी कमोडिटीज और वस्तुओं का कारोबार दोनों देशों के बीच होता है। एमएफएन के तहत इन पर पाकिस्तान को अब तक विशेष छूट दी जाती रही है।

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