VIDEO: बर्फ की सफेद चादर से सजी देवभूमि, नज़ारे देख खुद को आने से रोक नहीं पाएंगे..

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देहरादून: आज दिल बहुत खुश है। ठीक उस सफेद और कोमल बर्फ की तरह, जो सालों बाद जमकर दस्तक दे रही है। प्रदेशभर से आ रही बर्फबारी की खबरें मुझे देहरादून दफ्तर में रोमांचित कर रही हैं। मन बचपन की ओर चला जा रहा है। आंखें बंद कर आसानी से महसूस और याद कर सकता हूं कि जब हम छोटे थे, किस तरह बर्फ के साथ अठखेलियां करते थे। आनंद लेते थे। वो आनंद आज फिर से आ रहा है। बर्फबारी से हर कोई खुश है। लोगों के चेहरे खिले हुए हैं। इस पल का लोगों को सालों से इंतजार था। मैं मौके पर तो नहीं हूं, लेकिन जिस तरह से वीडियो आ रहे हैं। उससे कल्पना कर सकता हूं कि मौसम कितना आनंदित होगा। कितना रोमांचित होगा…। ऐसा लगता है…कि उत्तराखंड में फिर से हिमयुग लौट आया है।

पुरोला बाजार में बर्फबारी का नजारा…लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। लोगों के आनंद और खुशी को देख मन फूला नहीं समा रहा। अपनी उम्र के जिस पड़ाव पर हूं। आज से पहले कभी ना सुना और ना ही देखा कि जिस शहर बड़कोट से मैं आता हूं। वहां बर्फबारी हुई होगी। आज वहां भी बर्फबारी जमकर हो रही है। नौगांव बाजार के पास के इलाकों में भी बर्फबारी शुरू हो गई है। मसूरी से लेकर टिहरी तक हर तरफ बर्फ की सफेद चादर नजर आ रही है।

चमोली से लेकर पौड़ी जिले तक बर्फ की सफेद चादर ने धरा का श्रृंगार कर दिया है। धरती का रंग सफेद हो चला है। ये बर्फबारी खुशहाली लेकर आई है। जब भी बर्फबारी अच्छे से हुई पहाड़ के बागवानों के लिए खुशहाली लेकर आई। इसलिए लोगों की खुशी भी दोगुना हो गई। ग्लोबल वार्मिंग के लिए ये हिमयुग किसी चेतावनी की तरह है।

कुमाऊं में नैनीताल से लेकर रानीखेत, बागेश्वर, पिथौरागढ़ हर कहीं मखमली बर्फ की चादर फैली हुई है। मखमली चादर पर लोग अठखेलियां करते नजर आ रहे हैं। पर्यटकों के लिए ये हिमयुग शानदार अनुभव साबित होगा। इस लौटे हुए हिमयुग ने बचपन में सुनी उन बातों को भी सच कर दिया कि …ज छाल तांई पड़लु हिंऊ, तबईं बाजलु गैंटुड़ू बिदरु…। कहने का मतलब ये कि जब तक नदी किनारे तक बर्फ नहीं पड़ेगी, तब तक आसमान साफ नहीं होगा। आज नदी किनारों तक बर्फ गिर गई है।

पर्यावरण के लिहाज से ये बर्फबारी खासी महत्वपूर्ण है। सूखी नदियों और सूखे जंगलों के लिए ये बर्फ जीवन देने वाली है। हिमालय का आॅक्सीजन लौट आया है। उम्मीद करते हैं…ये लौटा हुआ हिमयुग जारी रहेगा। इस लौटे हुए हिमयुग से नदियों का जीवन चलता रहेगा। धरती रिचार्ज होगी। सूखे हुए झरने और नौले फिर से बहने लगेंगे। उम्मीद तो बेहतर होने की ही कर सकते हैं। तो फिर क्यों ना मिलकर उम्मीद करें कि ये लौटा हुआ हिमयुग हर साल ऐसा ही लौटता रहे…और मजबूती से लौटता रहे।
…प्रदीप रावत (रवांल्टा)

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