अब खेल विभाग का टेंडर में बड़ा खेल!

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बागेश्वर: जिले में खेल विभाग ने बैटमिंटन प्रैक्टिस के लिये तैयार किये जाने वाले सैंथेटिक कोर्ट की टेंडर प्रक्रिया में बड़ा खेल किया है। विभागीय अधिकारियों ने टेंडर प्रक्रिया में ही गड़बड़ी नहीं की बल्कि, काम शुरू होने से पहले ही एजेंसी को 10 लाख की धनराशि का पूरा भुगतान भी कर दिया। मामले का संज्ञान लेकर जिलाधिकारी ने जांच कराने और दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही है।

बागेश्वर खेल विभाग के आला अधिकारियों ने युवा खिलाड़ियों के सपने और जिला प्रशासन के ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरी तरह से पलीता लगा दिया है। खेल विभाग ने पहले गुपचुप तरीके से बैटमिंटन कोर्ट तैयार करने का टेंडर जारी किया और बाद में बिना काम शुरू किये चयनित एजेंसी को पूरा भुगतान भी कर दिया। कोर्ट तैयार करने के लिये टैंडर जिस एजेंसी के नाम खुला, विभागीय अधिकारियों ने आनन-फानन में महज 20 दिन के भीतर सारे कागजात तैयार करवाने के साथ भुगतान के लिये बिल भी लगवा दिये। यह सब मार्च के महीने में उस समय किया गया, जब वित्तीय वर्ष समाप्ति के कारण विभागों में काम का बोझ बेहद अधिक होता है। जानकारी के मुताबिक 5 मार्च को खेल विभाग के परिसर में बैटमिंटन कोर्ट स्थापित करने के लिये करीब 10 लाख की धनराशि के टेंडर जारी किये गये। काम के लिये मेरठ की एक एजेंसी का चयन किया गया। वहीँ अभी मौके पर कोर्ट का एक चौथाई काम ही हुआ है।

चौंकाने वाली बात यह है कि, एजेंसी ने खेल विभाग को बिना काम शुरू किये, मार्च माह में 9 लाख 80 हजार 410 रूपये का एक बिल थमाया, जिसके आधार पर विभाग ने महज चार दिन यानि 28 मार्च को बिना किसी शर्त के बिल का पूरा भुगतान भी कर दिया। यहां बता दें कि बैटमिंटन कोर्ट तैयार करने का आधा काम ग्रामीण निर्माण विभाग से कराया जा रहा है।

जानकार बताते हैं कि, नियमानुसार सारा काम जब ग्रामीण निर्माण विभाग के माध्यम से किया जा रहा था तो, सिंथेटिक कोर्ट की जिम्मेदारी भी विभाग की थी। इसके लिये अलग से टेंडर का प्रावधान करना अधिकारियों को शक के दायरे में लाता है। सरकारी नियमों के मुताबिक किसी भी फर्म या एजेंसी को बिना काम शुरू किये एक रूपये का भी भुगतान नहीं किया जा सकता। काम होने के बाद एक कमेटी गठित की जाती है, जो तकनीकी पहलुओं की जांच करके अपनी रिपोर्ट सौंपती है। उसके बाद ही भुगतान की कार्रवाई की जाती है। लेकिन खेल विभाग ने किसी भी मानकों का पालन नहीं किया, और नियम कानूनों की धज्जियां उड़ा दी।

खेल विभाग के इंडोर स्टेडियम के माध्यम से युवाओं की खेल प्रतिभा निखारने के लिये जिलाधिकारी ने अपने स्तर से भी धनराशि मुहैया करायी है। जिलाधिकारी ने बताया कि, यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है और इसके आधुनिकीकरण में किसी भी प्रकार से धन की कमी नहीं आने दी जायेगी। खेल विभाग का मामला संज्ञान में आया है। मुख्य विकास अधिकारी के माध्यम से इसकी जांच करायी जायेगी। दोषी अधिकारी से वसूली की कार्रवाई भी की जायेगी।

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