सैनिक स्कूल के नाम पर सरकारी कार्यवाही मतलब निल बटे सन्नाटा?

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रुद्रप्रयाग: प्रदेश में स्वीकृत दूसरे सैनिक स्कूल दिगधार के निर्माण का रास्ता अभी भी साफ नहीं दिखाई दे रहा है। आलम यह है कि यहां पर करीब 10 एकड़ भूमि पर 10 करोड़ रुपये को खुर्द-बुर्द कर दिया गया है और अभी तक स्कूल निर्माण का एक पत्थर तक नहीं लग पाया है।

हैरानी की बात तो यह है कि सरकारी स्तर पर कई जांचें भी हो चुकी हैं मगर जांच रिपोर्टों का भी कोई पता नहीं है। अब ऐसे में स्थानीय ग्रामीणों की भी चिंता बढ़ गयी हैं कि हमारी जमीनों को तो लिया गया मगर ना तो मिल पाया रोजगार और ना ही मिला मुआवजा।

गौरतलब है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान रुद्रप्रयाग जनपद के बडमा पट्टी स्थित दिगधार में प्रदेश के दूसरे सैनिक स्कूल के  रूप में स्वीकृति मिली थी। हालांकि यह स्वीकृति भी भाजपा व कांग्रेस के लिए लम्बे समय तक एक राजनीतिक मुद्दा बना रहा, लेकिन किसी तरह यहां पर निर्माण सम्बन्धी हलचलें शुरू हुई तो स्थानीय लोगों में आस जगी कि अब उनका क्षेत्र भी सैनिक शिक्षा के नाम से देशभर में जाना जायेगा।

सैनिक कल्याण के जरिये उत्तर प्रदेश निर्माण निगम को कार्यदायी संस्था बनाया गया और निगम ने बिना मुआवजा दिये व ग्रामीणों को पूछे बगैर उनके खेतों को सड़क के लिए काट डाला। सड़क की भी हालत यह है कि ग्रामीणों को इसका भी लाभ नहीं मिल पा रहा है।

जिलाधिकारी ने भी स्वीकारा है कि जितना भी कार्य हुआ है वह गुणवत्ता परख नहीं है। साथ ही इसको लेकर कई जांचें भी हो चुकी हैं जिनका अभी तक कुछ पता नहीं है। मुआवजे को लेकर डीएम का कहना है कि फिर से इस मसले को देखा जायेगा।

वहीँ सूबे के मुख्यमंत्री का भी कहना है कि मामला उनके संज्ञान में है और इसका परीक्षण करवायेंगे।

सरकार भले ही जीरो टॉलरेंस की बात हर मंच से कर रही है मगर सैनिक स्कूल के नाम पर जो करोड़ों का खेल खेला गया है उसको लेकर सरकार की तरफ से अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाया गया है। हर बार जांच कर ली जाती है और जनता को आश्वासन दे दिया जाता है। लेकिन आखिर में परिणाम यही निकल के आया है निल  बटे सन्नाटा  ….?

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