भारत में स्विट्जरलैंड का एहसास है – औली

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बबीता रयाल

औली उत्तराखंड का एक मनमोहक पर्यटक स्थल है। यह एक छोटा सा स्की-रिसोर्ट है। उत्तराखंड बनने से पहले तक औली एक सामान्य जगह थी ​लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसे विकसित किया गया है। औली को रामायण काल से भी जोड़ा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार लंका में युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण मूर्छित हो गये तो हनुमान को संजीवनी लेने के लिये द्रोणागिरि पर्वत आना पड़ा। इस बीच उन्होंने थोड़े समय के लिये औली में विश्राम किया। इसलिए यहां हनुमान का मंदिर भी बना हुआ है। इसके साथ ही कहा जाता है कि आठवीं सदी में शंकराचार्य भी आकर औली में रूके थे। गौरतलब है कि अब औली को तीर्थ स्थल नहीं बल्कि पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है।

Auli Ropeway

शहर की भाग -दौड़ती जिंदगी से दूर औली एक बहुत ही बेहतरीन पर्यटक स्थल है। यहाँ पर देवदार के वृक्ष बहुतायत में पाए जाते हैं। इनकी महक यहाँ की ठंडी और ताजी हवाओं में महसूस की जा सकती है। यहां नवंबर से मार्च तक चारों तरफ ​बर्फ ही बर्फ बिखरी होती है।

स्थानीय लोग जोशीमठ और औली के बीच केबल कार स्थापित करना चाहते हैं। जिससे आने-जाने में सुविधा हो और समय की भी बचत हो। इस केबल कार को बलतु और देवदार के जंगलो के ऊपर से बनाया जाएगा। पैदल यात्रा के अलावा यहाँ पर चेयर लिफ्ट का विकल्प भी है। यहाँ पर केवल स्कीइंग की जा सकती है। यहाँ नंदा देवी राषट्रीय उद्दयान है । गढ़वाल मण्डल विकास निगम ने औली में स्की सिखाने की व्यवस्था की है। मण्डल द्वारा 7 दिन की नॉन-सर्टिफिकेट और 14 दिन की सर्टिफिकेट ट्रेनिंग दी जाती है। यह ट्रेनिंग हर वर्ष जनवरी-मार्च में दी जाती है। मण्डल के अलावा निजी संस्थान भी ट्रेनिंग देते हैं। इसके अलावा यहाँ पर कई डीलक्स रिसोर्ट भी हैं।

जोशीमठ बहुत ही पवित्र स्थान है। यह माना जाता है कि महागुरू आदि शंकराचार्य ने यहीं पर ज्ञान प्राप्त किया था। । इसके अलावा यहाँ पर नरसिंह, गरूड़ मंदिर आदि शंकराचार्य का मठ और अमर कल्प वृक्ष है। यह माना जाता है कि यह वृक्ष लगभग 2,500 वर्ष पुराना है। इसके अलावा तपोवन भी घुमा जा सकता है। यह जोशीमठ से 14 किलोमीटर और औली से 32 किलोमीटर दूर है। तपोवन पवित्र बद्रीनाथ यात्रा के रास्ते में पड़ता है। यहीं से बद्रीनाथ यात्रा की शुरूआत मानी जाती है। बद्रीनाथ यात्रा भारत की सबसे पवित्र चार धाम यात्रा में से एक मानी जाती है।

औली बहुत ही विषम परिस्थितियों वाला पर्यटक स्थल है। यहाँ घूमने के लिए पर्यटकों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि औली आने से पहले शारीरिक व्यायाम करें और रोज दौड़ लगाएं। औली में बहुत ठंड पड़ती है। जैसे-जैसे आप पहाड़ों पर चढ़ते जाते हैं वैसे-वैसे पराबैंगनी किरणों का प्रभाव बढ़ता जाता है। यह किरणे आँखों के लिए बहुत हानिकारक होती हैं। इनसे बचाव बहुत जरूरी है। स्की के शौकीन लोगों के लिए औली स्वर्ग है। जो पर्यटक स्की नहीं करना चाहते और जल्दी थक जाते हैं वह भी औली की सुन्दरता का आनंद ले सकते हैं।

यहाँ भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस का स्की स्कूल भी है। पर्यटकों को इसमें प्रवेश की अनुमति नहीं है। इसके अलावा यहाँ पर जंगलों में खूबसूरत बलतु और कॉनीफर के वृक्ष भी पाए जाते हैं।

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