बाल दिवस स्पेशलः बड़े महापुरूषों में से एक थे बच्चों के “चाचा नेहरू “

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नई दिल्ली: आज़ादी के लिये लड़ने वाले और संघर्ष करने वाले मुख्य महापुरुषों में से जवाहरलाल नेहरु एक थे। वे पंडित जवाहरलाल के नाम से जाने जाते थे, जिन्होंने अपने भाषणों से लोगों का दिल जीत लिया था। इसी वजह से वे आज़ाद भारत के पहले प्रधानमंत्री भी बने और बाद में उनकी महानता को उनकी बेटी और पोते ने आगे बढाया। वे बच्चों के बीच बहुत लोकप्रिय थे और बच्चे उन्हें “चाचा नेहरू” करके पुकारते थे। उन्होंने बच्चों को देश के बेहत्तर भविष्य की प्रमुख नींव माना और बच्चों की शिक्षा पर विशेष जोर दिया। यही वजह है कि 14 नवंबर को उनका जन्म दिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

14 नवम्बर 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में जन्मे पंडित नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता के पहले और बाद में भारतीय राजनीति के मुख्य केंद्र बिंदु थे। वे महात्मा गांधी के सहायक के तौर पर भारतीय स्वतंत्रता अभियान के मुख्य नेता थे जो अंत तक भारत को स्वतंत्र बनाने के लिए लड़ते रहे और स्वतंत्रता के बाद भी 1964 में अपनी मृत्यु तक देश की सेवा की। उन्हें आधुनिक भारत का रचयिता माना जाता था। पंडित संप्रदाय से होने के कारण उन्हें पंडित नेहरु भी कहा जाता था।

वे मोतीलाल नेहरु के बेटे थे, जो एक महान वकील और  समाजसेवी थे। नेहरु ट्रिनिटी विश्वविद्यालय, कैंब्रिज से स्नातक हुए। जहा उन्होंने वकीली का प्रशिक्षण लिया और भारत वापस आने के बाद उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय में शामिल किया गया। लेकिन उन्हें भारतीय राजनीति में ज्यादा रुचि थी और 1910 के स्वतंत्रता अभियान में वे भारतीय राजनीति में कम उम्र में ही शामिल हो गये। 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होकर महान और प्रमुख नेता बने और बाद में पूरी कांग्रेस पार्टी ने उन्हें एक विश्वसनीय सलाहकार माना जिनमें गांधी जी भी शामिल थे। 1929 में कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में नेहरु ने ब्रिटिश राज से सम्पूर्ण छुटकारा पाने की घोषणा की और भारत को पूरी तरह से स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की मांग की। नेहरु और कांग्रेस ने 1930 में भारतीय स्वतंत्रता अभियान का मोर्चा संभाला ताकि देश को आसानी से आज़ादी दिला सके। उनके सांप्रदायिक भारत की योजना को तब सभी का सहयोग मिला जब वे राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य नेता थे। उनके स्वतंत्रता के अभियान को तब सफलता मिली जब 1942 के ब्रिटिश भारत छोडो अभियान में ब्रिटिश बुरी तरह से पीछे रह गये और उस समय कांग्रेस को देश की सबसे सफल और महान राजनीतिक संस्था माना गया था। मुस्लिमों की बुरी हालत को देखते हुए मुहम्मद अली जिन्नाह ने मुस्लिम लीग का वर्चस्व पुनर्स्थापित किया। लेकिन नेहरु और जिन्नाह का एक दूसरे की ताकत बांटने का समझौता असफल रहा और आज़ादी के बाद 1947 में ही भारत का विभाजन किया गया।

1941 में जब गांधी जी ने नेहरु को एक बुद्धिमान और सफल नेता का दर्जा दिया था उसी को देखते हुए आज़ादी के बाद भी कांग्रेस ने उन्हें ही स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में चुना। 1950 में भारतीय कानून के नियम बनाये गये।

नेहरु की नेतागिरी में कांग्रेस देश की सबसे सफल पार्टी थी जिसने हर जगह चाहे राज्य, लोकसभा अथवा विधानसभा हो, हर जगह अपनी जीत का परचम लहराया था और लगातार 1951, 1957 और 1962 के चुनावों में जीत हासिल की थी। उनके अंतिम वर्षों में राजनीतिक दबाव (1962 के चीन-भारत युद्ध में असफलता) के बावजूद वे हमेशा ही भारतीय लोगों के दिलों में बसे रहेंगे। 27 मई 1964 को यह महापुरुष सदा के लिये चला गया।

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