प्रदेश में एक ओर सरकार के 100 दिनों का जश्न, तो वहीं दूसरी ओर किसान के घर में छाया मातम

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ऊधम सिंह नगर

रविवार को खटीमा के गांव हल्दी पचपेडा के निवासी रामौतार नाम के किसान ने आत्महत्या कर ली। जिसके चलते सभी परिजन सदमें में आ गए हैं। परिजनों ने बैंक कर्मियो पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कहा है कि जब से रामौतार को बैंक से नोटिश आया तभी से वो बहुत ज्यादा परेशान था। मृतक ने एसबीआई बैंक खटीमा से 1लाख 80 हजार का लोन लिया था, जिसको चुकाने में वो सक्षम नही था और उसी सदमें में आकर उसने आत्महत्या की है।

हैलो उत्तराखण्ड ने जब एसएसपी सदानंद दाते से इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया ली तो उन्होने बताया कि गांव हल्दी पचपेडा के निवासी रामौतार ने रविवार को आत्महत्या कर ली है, लेकिन इसकी असल वजह क्या है अभी यह कहना मुश्किल है। मृतक के पास कोई सोसाइड पत्र नही मिला है, इसलिए अभी कुछ नही कहा जा सकता कि आत्महत्या का क्या कारण है।

वहीं खटीमा एसबीआई बैंक मेनेजर गौतम का कहना है कि जनरल नोटिस गया होगा जो कि किसान के हित में ही होता है क्योकि अगर समयवधि के तहत किसान कर्ज का भुगतान कर देता है तो उनकी ब्याज दर्रें मात्र 4 प्रतिशत ही होती है और समयावधि पार करने के बाद यदि भुगतान किया गया तो सरकार ब्याज सबसीडी खत्म कर देती है जिससे किसान को ब्याज दर्रे 12.5 प्रतिशत की दर्रो से चुकाना पडता है। इसलिए बैंक द्वारा किसानो को जागरूक करने के लिए नोटिस भेजा जाता है ताकि वह समय के रहते कर्ज का भुगतान कर सके।

इसी मुद्दे पर सरकार के प्रवक्ता मदन कोशिक का कहना है कि यह अति गंभीर विषय है कि आखिर किसान को ऐसे फैसले क्यों लेने पड रहे है, साथ ही उनका यह भी कहना है कि इस घटना पर जल्द से जल्द मैजेस्ट्रेटिक जांच के आदेश दिये जायेगें। उन्होने यह भी कहना है कि किसानों की समस्याओं को लेकर सरकार गंभीर है जिसके चलते किसान हित में कुछ योजनांए लाई जा रही है जो शीघ्र ही सबके सामने होगी।

कितने गलत बात है कि हमारा पेट भरने वाले किसान को ही पेट भरने के लाले पड रहे हैं और पूरे देश को पालने वाले किसानों को अपने ही परिवार को पालने के लिए नाको चने चबाने पड रहे हंै। आज जहां प्रदेश भर में बीजेपी के 100 दिन पूरे होने का जश्न मनाया जा रहा है तो वहीं एक ऐसा भी परिवार है, जो मातम में डूबा है लेकिन उसके बारे में लोगों को कोई सुद्ध भी नही है। आखिर यह प्रदेश का कौन सा विकास हो रहा है, जहां एक ही महिने में दो किसानों ने बोझ तले दबकर आत्महत्या कर ली हो।

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