तोशी गांव नहीं है प्रशासन के लिए जरूरी – लापरवाही की चढ़ रहा है भेंट

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सरकारी नाम सुनते ही लेट लतीफी की प्रक्रिया आखों से सामने आ जाती है। अक्सर कहा भी जाता है कि सरकारी काम है भाई सहाब इतनी जल्दी नहीं होगा। इसी का उदाहरण इस समय उत्तराखंड की ब्यूरोक्रेसी में भी दिख रहा है। एक गांव जो पिछले कई सालों से सरकार औऱ प्रशासन से सड़क की मांग कर रहा है, अब तक निराश है । उस गांव की इसी निराशा को आशा में बदलने के लिए हैलो उत्तराखंड ने अपने पहले प्रकाशन में यह मुद्दा उठाया था। बताये कि अपने पहले प्रकाशन में हमने आपको तोशी गांव की तकलीफों औऱ समस्याओं से रूबरू करवाया था। हमने बताया था कि तोशी गांव से सड़क तक की दूरी लगभग 10 किमी की है औऱ वहां से अस्पताल की दूरी है लगभग 30 से 35 किमी.।

इसलिए जब कोई महिला गर्भवती होती है तो उसे 4 से 5 महीने पहले ही उसके मायके या किसी रिश्तेदारों के घर भेज दिया जाता है ताकि जच्चा और बच्चा सुरक्षित रह सके । सड़क न होना उस गांव के लिए ऐसा अभिशाप है कि कई सालों से उस गांव में किसी भी बच्चे ने जन्म नहीं लिया है।

हमारी इस खबर के कुछ दिनों बाद राज्य सरकार के जॉइंट सेक्रेटरी (वन औऱ पर्यावरण) आर.के तोमर ने बताया था कि नशा प्रमुख वन संरक्षक ( वन्यजीव ) डी.बी.एस खाती के यहां से आ चुका है औऱ उसे मुख्य सचिव रामास्वामी को फॉरवर्ड कर दिया गया है। लेकिन आज एक माह बीत जाने के बाद भी आर.के तोमर अनुसार वह नशा अब तक दिल्ली नहीं पहुंच पाया है।

यानी पिछले एक महीनें से वह नक्शा मुख्य सचिव और जॉइंट सेक्रेटरी (वन औऱ पर्यावरण) के दफ्तर के बीच ही फंसा हुआ है।

बता दें कि 11 अप्रैल  2017 को हमने इस समस्या को लेकर जब हमने आईजी भारतीय (वन और वन जीवन ) सुमित्रा दास गुप्ता से बात की थी तो उनका यह कहना था कि पिछली सरकार ने जो सड़क को लेकर प्रपोजल भेजा था, उसमें नक्शा न होने के कारण वो स्वीकृत नहीं हो पाया। साथ ही उन्होनें कहा था कि जनवरी 2017 में हमने एडिशनल मुख्य सचिव को पत्र लिखकर नक्शा भेजने की बात कही थी। अगर नक्शा राज्य सरकार हमको दे दे तो हम जल्द से जल्द इस पर कार्यवाही आगे बढ़ाए।

अब जब नक्शा एक माह पूर्व मुख्य सचिव तक पहुंच चुका है तो सवाल है कि अब तक उसे दिल्ली क्यों नहीं भेजा गया। जिस कारण प्रशासन की इस लपारवाही की सजा तोशी गांव को मिल रही है। इस लापरवाही को जल्द से जल्द दुरूस्त कर नक्शा दिल्ली पहुंचाकर तोशी गांव को खुशहाल बनाने का जिम्मा अब प्रशासन का है। जिसे बिना देरी किये किया जाना चाहिए।

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