ईद उल-फितर – ईद यानी मन्नतें पूरी होने का दिन..

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सोमवार को देशभर में ईद की धूम बाजारो और दुकानों में देखने को मिल रही हैं। ईद का त्यौहार मुस्लिम समाज के लोगों के लिए पाक त्यौहार है। ईद उल-फ़ित्र  या ईद उल-फितर मुस्लमान रमजान उल- मुबारक  के महीने के बाद एक मज़हबी ख़ुशी का त्यौहार है।

ये यक्म शवाल अल- मुकर्रम्म को मनाया जाता है। ईद उल-फ़ित्र इस्लामी कैलेण्डर के दसवें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है। इसलामी कैलंडर के सभी महीनों की तरह यह भी नए चाँद के दिखने पर शुरू होता है। इस्लामी कैलेंडर ” एम वी इ ” के रूप में जाना जाता है और यह सामान्य कैलंडर की तुलना में ग्यारह दिन कम होता हैं ।

मुसलमानों का त्यौहार ईद मूल रूप से भाईचारे को बढ़ावा देने वाला त्यौहार है। इस त्यौहार को सभी आपस में मिल के मनाते है और खुदा से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं। मुस्लिम धर्मावलंबियों के लिए यह अवसर भोज और आनंद का होता है । फितर शब्द अरबी के ‘फतर’ शब्द से बना हैं, जिसका अर्थ होता है टूटना । फितर शब्द का एक अन्य अर्थ भी होता है जो फितरह शब्द से निकलता है, जिसका अर्थ होता है भीख ।

624 ईस्वी में पहला ईद-उल-फ़ित्र  मनाया गया था। पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र के युद्ध में विजय प्राप्त की थी। यह त्यौहार उसी खुशी में मनाया गया था।

इस दिन इस्लाम को मानने वाले का फर्ज होता है कि अपनी हैसियत के हिसाब से जरूरतमंदों को दान दें। इस दान को इस्लाम में जकात और फितरा भी कहा जाता है।

ईद-उल-फित्र’ दरअसल दो शब्द हैं। ‘ईद’ और ‘फित्र’। असल में ‘ईद’ के साथ ‘फित्र’ को जोड़े जाने का एक खास मकसद है। वह मकसद हैं रमजान में जरूरी की गई रुकावटों को खत्म करने का ऐलान। साथ ही छोटे-बड़े, अमीर-गरीब सबकी ईद होना। ईद के दिन मस्जिद में सुबह की प्रार्थना से पहले, हर मुसलमान का फ़र्ज़ है कि वो दान या भिक्षा दे। इस दान को ज़कात उल-फ़ित्र कहते हैं। यह दान दो किलोग्राम कोई भी प्रतिदिन खाने की चीज़ का हो सकता है, मिसाल के तौर पे, आटा, या फिर उन दो किलोग्रामों का मूल्य भी। प्रार्थना से पहले यह ज़कात ग़रीबों में बाँटा जाता है।

इसके साथ ही फित्रे की रकम भी उन्हीं का हिस्सा है। इस सबके पीछे सोच यही है कि ईद के दिन कोई खाली हाथ न रहे, क्योंकि यह खुशी का दिन है।  यह खुशी खासतौर से इसलिए भी है कि रमजान का महीना जो एक तरह से परीक्षा का महीना है, वह अल्लाह के नेक बंदों ने पूरी अकीदत (श्रद्धा), ईमानदारी व लगन से अल्लाह के हुक्मों पर चलने में गुजारा। इस कड़ी आजमाइश के बाद का तोहफा ईद है। मुसलमानों का त्योहार ईद रमज़ान का चांद डूबने और ईद का चांद नज़र आने पर उसके अगले दिन चांद की पहली तारीख़ को मनाई जाती है।

इस्लाम धर्म के तहत एक साल में दो ईद मनाई जाती हैं। एक मीठी ईद यानि ईद उल-फ़ित्र और दूसरा ईद-उल-जुहा यानि बकरा ईद । पहली ईद-उल-फितर रमजान माह के आखरी दिन में मनाई जाती है और दूसरी ईद-उल-जुहा हज यात्रा के माह में मनाई जाती है।

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