उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा 28 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की तैयारी में, तीनों ऊर्जा निगमों में अबतक लगभग 25 कर्मचारी कोरोना काल में शहीद, अभी भी सरकार की और से कोई सुनवाई नहीं!

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देहरादून: आज दिनांक 24 मई को विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के सभी घटक संघों की एक सभा गूगल मीट के माध्यम से आयोजित की गई। जिसमें पूरे राज्य में तीनों ऊर्जा निगमों के सभी संगठनों के अध्यक्ष एवं महामंत्री के द्वारा प्रतिभाग किया गया।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने बताया कि “ऊर्जा निगम में कर्मचारियों की समस्याओं के विषय में पहले जनवरी तथा फिर मार्च में पत्र के माध्यम से तीनों नियमों के प्रबंध निदेशकों को अवगत कराया गया था तथा समस्याओं पर कोई कार्यवाही नहीं होने की दशा में मोर्चा द्वारा 13 मई से 27 मई तक विभिन्न कार्यक्रम, तथा 28 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल तीनों ऊर्जा निगम तथा परियोजनाओं पर रखे गए थे। वर्तमान में कोविड-19 की महामारी के प्रकोप के कारण राज्य में विषम परिस्थितियां उत्पन्न हो रखे हैं, इसके कारण समूचा स्वास्थ्य तंत्र ओवर लोडेड है। सभी सेवाओं के मूल में विद्युत आपूर्ति की 24 घंटे निरंतरता अति आवश्यक है। इस आपातकाल के समय में संगठनों द्वारा राज्य की जनता के हितों के लिए तथा विद्युत आपूर्ति की निरंतरता की महत्व को देखते हुए यह निर्णयलिया गया था कि 13 मई से 27 मई तक आंदोलन कार्यक्रम में आयोजित किए जाने वाले विभिन्न कार्यक्रम जिसमें गेट मीटिंग तथा विशाल रैली का आयोजन था, को स्थगित किया जाता है।

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मोर्चा ने बताया कि आज की सभा में मुख्य रूप से 28 तारीख से तीनों ऊर्जा निगमों में पूरे राज्य में हड़ताल किए जाने के निर्णय को यथावत रखा गया है तथा तीनों ऊर्जा निगमों के सभी नियमित संविदा self-help कर्मचारी 28 मई की प्रथम पाली से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे।
सभा में सभी वक्ताओं ने तीनों नियमों के प्रबंध निदेशकों की संवेदनहीनता पर खेद व्यक्त करते हुए कहा कि पर्याप्त समय होने के बाद भी, ना तो समस्याओं पर कोई कार्यवाही की गई, ना ही कोई संवाद संगठनों के साथ किया गया। मोर्चे ने कहा कि “आज की सभा में सभी संगठनों के पदाधिकारियों का का विचार था कि शायद निगम प्रबंधन आंदोलन को उकसा रहा है। अभी तक उत्तराखंड पावर कारपोरेशन ट्रांसमिशन कारपोरेशन के द्वारा समस्याओं पर ना तो वार्ता की गई और ना कोई कार्यवाही की गई है। जल विद्युत निगम द्वारा आंदोलन समाप्त करने की अपील जारी की गई है, जबकि तीनों ऊर्जा निगमों में लगभग 25 कर्मचारी कोरोना काल में शहीद हो चुके हैं। अभी तक किसी को कोई वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की गई ना ही किसी पीड़ित परिवार को रोजगार प्रदान किया गया।”
मोर्चे ने कहा कि “सभी वक्ताओं ने दिसंबर 2017 के समझौते तथा उसके बाद प्रमुख सचिव ऊर्जा तथा अन्य अधिकारियों द्वारा आश्वासन देने के बाद भी निगमों के कर्मचारियों की समस्याओं पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी। उन्होने कहा कि “केवल जनता के हितों तथा राज्य की जनता की सहायता हेतु कार्मिक विपरीत परिस्थितियों में भी कार्य कर रहे हैं, किंतु प्रबंधन द्वारा अगर समुचित कार्यवाही नहीं की गई तो तीनों निगमों के द्वारा संवाद हीनता तथा समस्याओं को लगातार 4 वर्ष से अनदेखा करने के कारण कर्मचारियों द्वारा 28 मई की प्रथम पाली से की जाने वाली हड़ताल यथावत रहेगी।

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मोर्चे ने यह भी कहा कि “आपदा काल में रात दिन कार्य करने के बाद भी विद्युत निगम के नियमित, संविदा तथा self-help के कार्मिकों को कोविड वैक्सीन उपलब्ध नहीं कराई जिससे उनकी जान को काफी खतरा उत्पन्न है। उन्होने कहा कि “उनके कई साथी शहीद हो चुके हैं तथा काफी लोग कोरोनावायरस से जूझ रहे हैं। शासन-प्रशासन जानबूझकर ऊर्जा निगम के कार्मिकों को फ्रंटलाइन वारियर्स से बाहर रखे हुए हैं।”
सभा में इंजीनियर पंकज सैनी, अमित रंजन, मुकेश कुमार, सुधीर कुमार सिंह, आनंद सिंह रावत, विनोद कवि, सन्दीप शर्मा, प्रदीप कंसल, बिनोद कलि, प्रेम भट्ट, दीपक पाठक, एसके थपलियाल, केहर सिंह, डीसी घ्यानी, मोहम्मद रियाज, विशाल गुप्ता, विक्की दास, भानु जोशी, प्रमोद कुमार, वाईएस तोमर, सुनील मोगा, मोहम्मद अनीस, विवेक कुमार आदि मैजूद रहे।

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