उत्तराखंडियों को निशुल्क बिजली दिया जाए-उत्तराखंड वनाधिकार आंदोलनकारी, विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति डी.पी ग़ैरोला को सौंपा ज्ञापन

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देहरादून: उत्तराखंड वनाधिकार आंदोलन के एक प्रतिनिधि मण्डल ने आगामी बजट सत्र के आलोक में उत्तराखंडियों को निशुल्क बिजली प्रदान किये जाने के सम्बंध में आज उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति डी.पी. ग़ैरोला से भेंट की। प्रतिनिधि मण्डल ने आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति डी.पी. ग़ैरोला को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें उन्होने कहा है कि वर्ष 2020 -21 में उत्तराखंड ने कुल कितनी बिजली का उत्पादन किया है, उसके आंकड़े या तो सार्वजनिक पटल पर उपलब्ध नहीं है, या हमें मिल नहीं पाए, लेकिन वर्ष 2018 के आंकड़ों के अनुसार, उत्तराखंड राज्य में  3,399 मेगावाट विद्युत उत्पादतन क्षमता थी। सिर्फ टिहरी जल विद्युत परयोजना के 1400 मेगावाट से ही 12 प्रतिशत बिजली राज्य को मुफ्त मिल रही है।”
प्रतिनिधि मण्डल ने अपने ज्ञापन में कहा कि “ये तो हमारे राज्य की विद्युत उत्पादन क्षमता है, लेकिन अगर इसके विपरीत दिल्ली जैसे प्राकृतिक संसाधनहीन राज्य की बात करें तो वह पूरी तरह विद्युत उत्पादन के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर है, वावजूद इसके वह अपने राज्य के निवासियों को 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त दे रहा है जबकि हमारे राज्य में विद्युत की दर दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। वनाधिकार आंदोलन लगातार सरकार से मांग कर रहा है कि उत्तराखंड के निवासियों विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र के वासियों ने प्राकृतिक संसाधनों की आदिकाल से रक्षा की है, वे आज भी कर रहे हैं, जबकि अक्सर इन संसाधनों की रक्षा के एवज में उन्हें खुद की हानि (जीवनहानि) तक सहनी पड़ती है।  इसके वावजूद, न तो पानी मुफ्त मिल रहा है और न विजली। हमारे द्वारा मुफ्त बिजली या पानी भी किसी दया भाव में नहीं मांगी जा रही है बल्कि कार्बन क्रेडिट या ग्रीन बोनस के तौर पर अपने अधिकारों के तहत मांगी जा रही है।”
निवेदन में यह भी कहा गया है कि विद्युत बिलों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाई जाए, प्रत्येक उत्तराखंडवासी को कम से कम 100 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाये, जबकि उत्तराखंड सरकार की तरफ से निर्धारित दुर्गम क्षेत्रों में कम से कम 300 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाए।  पर्वतीय क्षेत्र के व्यवसायियों को व्यावसायिक (कमर्शियल) दरों को कम किया जाये।”
प्रतिनिधि मंडल में किशोर उपाध्याय (प्रणेता)- वनाधिकार आंदोलन, जोत सिंह बिष्ट, राजेन्द्र सिंह भंडारी, प्रेम बहुखंड़ी, नेमचंद सूर्यवंशी, फारूक कुरेशी, अविरल मिश्रा, जे.पी. सक़्सेना, नासिर मंसूरी, इब्राहिम कुरेशी, मुकेश लखेड़ा, परवीन ठाकुरी, शाहनवाज, गोपी चंद, रविन्द्र रावत, असलम खान, सुहेल खान, कांति बल्लभ भट्ट, अकरम कुरेशी, इम्तियाज, अमित भाई, जुल्फिकार, जाहिद, इरफान, आदि शामिल थे।

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