देहरादून: जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा सात लाख लोगों को रोजगार देने का मामला पूरी तरह से हवा हवाई है; ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार द्वारा कोरोना जांच के आंकड़े व मास्क चालान के आंकड़े भी रोजगार आंकड़ों में शामिल कर लिए गए हैं !
बड़े दुर्भाग्य की बात है कि बंशीधर भगत व मदन कौशिक मीडिया के माध्यम से प्रदेश के युवाओं/ जनता को धोखा देने का काम कर रहे हैं। नेगी ने कहा कि हकीकत तो यह है कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग एवं उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को सरकार द्वारा इन 3-4 वर्षों में मात्र 8046 पदों पर ही अधियाचन भेजा गया है, जिस पर चयन प्रक्रिया पूर्ण होने के उपरांत मात्र दो- चार हजार लोगों को ही रोजगार मिल पाया। त्रिवेंद्र सरकार पूर्ववर्ती सरकार द्वारा भेजे गए अधियाचन को भी अपने रोजगार आंकड़े में शामिल कर रही है।
उपनल, पीआरडी एवं होमगार्ड इत्यादि की बात की जाए तो अस्थाई तौर पर सरकार द्वारा मात्र 10-15 हजार युवाओं को ही रोजगार उपलब्ध करा पाई। अगर औधोगिक इकाइयों की जाए तो वृहद उद्योगों में वर्ष 2017 -18 व 2018-2019 में मात्र 1934 युवाओं को ही रोजगार मिल पाया। सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योगों के माध्यम से सरकार कई हजार युवाओं को रोजगार देने की बात कर रही है, जबकि हकीकत यह है कि अपने संसाधनों से छोटे-मोटे उद्योगों से मिलने वाले रोजगार को भी सरकार अपनी उपलब्धि मान रही है। 2019- 20 व 2020-21 में सरकार कोई रोजगार नहीं दे पाई; यह बात अलग है की भविष्य में 53159 युवाओं को रोजगार दिए जाने की बात प्रस्तावित है, लेकिन यह कब दिया जाएगा इसको सिर्फ ऊपर वाला ही जानता है। सरकार द्वारा 8-10 माह पूर्व तीन लाख लोगों को रोजगार देने का दावा किया गया था जोकि अब बढ़कर सात लाख हो गया है। सरकार झूठ पर झूठ बोले जा रही है लेकिन प्रदेश का युवा गहरी नींद में सोया हुआ है। मोर्चा सरकार से युवाओं के रोजगार मामले में श्वेत पत्र जारी करने की मांग करता है।
आरटीआई रिपोर्ट
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