मरोज पर्व की धूम, उत्तराखंड में केवल जौनपुर, जौनसार रवाईं व हिमाचल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है यह पर्व

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नरेश नौटियाल की रिपोर्ट; 
मसूरी: मसूरी से सटा जौनपुर विकासखंड अपनी अनोखी सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। वैसे तो उत्तराखंड सांस्कृतिक विरासत का धनी है। लेकिन यहां की लोक संस्कृति अपने आप में अपना अलग स्थान रखती है। इसी लोक संस्कृति का अहम हिस्सा है मरोज पर्व जो पूरे उत्तराखंड में केवल जौनपुर, जौनसार रवाईं व हिमाचल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। यह क्षेत्र पांडव कालीन संस्कृति से जुड़ा होने के कारण यहां पर माघ का महीना विशेष रहता है, जिसमें बकरे काटे जाते हैं व पूरे महीने गांव मस्ती उल्लास में डूबा रहता है।

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गांव गांव में इस पर्व को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है। घर घर में शाम को पूरे गांववासी सामूहिक रूप से लोगों की टोलियां बनाकर घर घर में पारंपरिक लोक नृत्य आयोजित किया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि मरोज मेले में सभी गांववासी एक दूसरे के घरों में नाच गानों के लिए जाते हैं। उस दौरान घरों के अंदर नृत्य कर शराब व मीट परोसी जाती है और बड़े ही हर्ष और उल्लाह्स के साथ इस पर्व को मानते है।

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