वन मंत्री के राज में जंगल में गुंडाराज!

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कालागढ़ (पौड़ी): कार्बेट नेशनल पार्क की कालागढ़ रेंज में हाथियों की मौत वन मंत्री और वन विभाग के दावों की पोल खोल रहा है। कालागढ़ रेंज के खटपानी इलाके में 15 दिसंबर को एक नर हाथी का शव मिलने की बात वन विभाग के अधिकारियों ने कही थी, लेकिन उसकी कोई फोटो जारी नहीं की गई। अब वन हाथी की असल स्थिति की एक फोटो वायरल हुई है, जिसमें नर हाथी का शव क्षतविक्षप्त नजर आ रहा है। सवाल इस बात का है कि आखिर नर हाथी के शव का ये हाल किसने किया और इसका पता वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों को एक माह तक क्यों नहीं चल पाया, जो कैमरे तोड़े गए थे, उनकी जगह पर नए कैमरे क्यों नहीं लगाए गए। जिस हिसाब से हाथी के शव को क्षतविक्षप्त किया गया है, उससे साफ नजर आ रहा है कि हाथी के अंग सुरक्षित नहीं हैं। इससे यह भी साफ हो जाता है कि, इस काम को वन्यजीव तस्कारों ने अंजाम दिया है। वन विभाग ने अपनी नाकामी को छुपाने के लिए मामले की सही जानकारी नहीं दी।

15 दिसंबर को धारा ब्लाक के कक्ष संख्या 6 व 9 के मिलान पर बड़ा स्रोत पर एक नर हाथी के बच्चे के अवशेष मिले थे। गश्ती दल ने पूरे मामले की सूचना वायरलेस से रेंज कार्यालय को दी व अवशेषो की सुरक्षा हेतु स्टाफ तैनात कर दिया। मामले की जानकारी होने के बाद जैसे ही खबर फैली सबसे पहले वन विभाग ने ये बात कही कि शव के सभी अंग सुरक्षित है। जोकि, असल तस्वीरें सामने आने के बाद साफ हो गया कि माजारा कुछ और ही है। इस पूरे मामले में पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने वन मंत्री हरक सिंह रावत पर भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि, विभागीय मंत्री को इस घटना का संज्ञान लेना चाहिए।

नर हाथी के अंग भी सुरक्षित नजर नहीं आ रहे हैं। आपको बता दें कि, पिछले दिनों खटपानी रेंज में वन विभाग के कैमरे तोड़ दिए गए थे। बावजूद इसके रेंज क्षेत्र में गश्त में तेजी नहीं लाई गई। माना जा रहा है कि हाथी के शव के अवशेष करीब एक माह पुराने होंगे। इससे एक बात यह भी साफ हो गई कि वन विभाग गश्त के नाम पर केवल खानापूर्ति कर रहा है। सूचना मिलते ही कार्बेट टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक व अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। मौके पर चिकित्सा दल भी गया। अवशेषो को समेटकर वन विभाग के अधिकारियो ने किसी तरह आनन-फानन में पोस्टमार्टम की कार्रवाई को अंजाम देकर उसके सड़े-गले अंगो को दफन कर दिया।

वहीं वाईल्ड लाईफ प्रोटेक्शन सोसाईटी ऑफ इंडिया के उत्तराखंड प्रभारी राजेन्द्र अग्रवाल ने इस मामले पर कहा कि, इस घटना से वन्यजीवों के लिए की जा रही गश्त पर सवाल खड़ा हुआ है। कार्बेट टाइगर रिजर्व की दक्षिणी सीमा संवेदनशील है। ऐसे मे एक हाथी की मौत का पता एक माह तक नही चला, इसकी जांच होनी चाहिए व गश्त सही से होनी चाहिए।

वाईल्ड लाईफ वैलफेयर फाउंडेशन के प्रवक्ता एसएस सिसौदिया का कहना है घटना में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को भी दंडित  किया जाना चाहिए। पार्क वार्डन शिवराज चंद का कहना है कि, इस मामले मे गश्त की जांच कराई जा रही है। वहीं, घटनास्थल पर सशस्त्र गश्ती दल तैनात कर दिए गए हैं।

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